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पति से चल रहा था झगड़ा, 13 महीने के बच्चे को भरी अदालत में फर्श पर पटककर निकाला गुस्सा!

कोर्ट ने कहा कि बच्चे को जमीन पर पटकना उसकी हत्या का प्रयास था और इसलिए महिला के साथ कोई सहानुभूति नहीं दिखाई जा सकती.

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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महिला के खिफाफ की गई FIR को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि एक बच्चे को फर्श पर फेंकना उसकी हत्या करने का प्रयास है. यह मामला साल 2022 का है. अदालत में अपने पति से भरण पोषण की याचिका पर सुनवाई के दौरान आरोपी भारती पटेल ने अपने 13 महीने के बच्चे को जमीन पर पटक दिया था जिसके बाद महिला पर आईपीसी की धारा 307  (हत्या) के प्रयास का मामला दर्ज किया गया था.

यह साफ तौर पर हत्या का प्रयास था

इसके बाद महिला ने अपने ऊपर लगे हत्या के प्रयास की धारा को हटवाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने कहा कि महिला को अपने बच्चे को जमीन पर फेंकने और उसकी तरफ पेपरवेट फेंकने का कोई अधिकार नहीं था. कोर्ट ने कहा कि यह साफ तौर पर बच्चे की हत्या का प्रयास था.

जस्टिस अहलूवालिया ने कहा, 'बच्चे को जमीन पर फेंकना सीधे तौर पर उसकी हत्या का प्रयास था और इसके बाद महिला ने उसकी तरफ पेपरवेट भी फेंका जिससे उसकी मौत हो सकती थी.' कोर्ट ने कहा कि महिला ने यह कहते कुए बच्चे की तरफ पेपरवेट फेंका था कि आज वह उसकी हत्या कर देगी.  हालांकि पेपरवेट उसके पास से होकर गुजर गया वरना उसकी हत्या हो सकती थी.


कोर्ट ने यह भी पाया कि पटेल को मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष कार्यवाही के दौरान उनके आचरण के लिए न्यायालय अवमानना अधिनियम की धारा 12 के तहत पहले ही नोटिस जारी किया गया था. उससे अपना साक्ष्य देने के लिए कहा गया था लेकिन उसने कहा कि वह अपना बयान नहीं देना चाहती है और उसने इस बात पर जोर दिया कि उसके पति को अदालत  में व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा जाए. जब कोर्ट ने उसे समझाने की कोशिश की कि उसका पति कुछ दिन पहले की जमानत पर बाहर आया है और उसे बकाया भुगतान का एक और मौका दिया जाना चाहिए तो महिला ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया और अपने 13 साल के बच्चे को फर्श पर फेंक दिया.

अदालत को अपने पक्ष में फैसला सुनाने को लेकर दबाव नहीं डाला जा सकता

कोर्ट ने आगे कहा कि पीठासीन अधिकारी के बार-बार कहने के बाद भी महिला ने बच्चे को उठाने से मना कर दिया और उसे चुप कराने की भी कोशिश नहीं की. कोर्ट ने कहा कि बाद-बार दिए गए निर्देशों के बाद भी पटेल ने अपने आचरण को नहीं सुधारा और कोर्ट की कार्यवाही को बाधित किया. उसने अपने बच्चे की हत्या करने का भी प्रयास किया. अगर आवेदक अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वह हाईकोर्ट के समक्ष जा सकता है लेकिन वह अदालत को अपने पक्ष में फैसला सुनाने को लेकर दबाव नहीं डाल सकती.

कोर्ट ने खारिज की महिला की याचिका

जस्टिस अहलूवालिया ने कहा कि तमाम परिस्थितियों को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता है कि पटेल के खिलाफ जो FIR हुई वह झूठी थी और सोच समझकर की गई थी. पीठ ने आदेश किया तमाम तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करने के बाद महिला के खिलाफ कोई सहानुभूतिपूर्ण दृषिकोण नहीं अपनाया जा सकता है और उसकी याचिका खारिज की जाती है.