उत्तराखंड सरकार ने अतिरिक्त इंक्रीमेंट को लेकर लिया बड़ा फैसला, करीब 5000 शिक्षकों पर पड़ेगा असर

उत्तराखंड सरकार ने लंबे समय से चल रहे शिक्षक वेतन से जुड़े विवाद पर अब स्पष्ट फैसला ले लिया है. इस फैसले का असर प्रदेश के करीब पांच हजार शिक्षकों पर पड़ेगा, जिनके वेतन में बदलाव किया जाएगा.

Anuj

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने लंबे समय से चल रहे शिक्षक वेतन से जुड़े विवाद पर अब स्पष्ट फैसला ले लिया है. इस फैसले का असर प्रदेश के करीब पांच हजार शिक्षकों पर पड़ेगा, जिनके वेतन में बदलाव किया जाएगा. चयन और प्रोन्नत वेतनमान मिलने के समय इन शिक्षकों को जो अतिरिक्त इंक्रीमेंट दिया गया था, वह आगे से मान्य नहीं रहेगा. सरकार ने इस विषय पर सरकारी कर्मचारी वेतन नियम 2016 में संशोधन करते हुए आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है.

अतिरिक्त भुगतान वापस नहीं लिया जाएगा

वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने स्पष्ट किया है कि जिन शिक्षकों को वर्ष 2016 से 2019 के बीच चयन या प्रोन्नत वेतनमान के दौरान अतिरिक्त इंक्रीमेंट मिला था, उनसे अब पहले से दिया गया अतिरिक्त भुगतान वापस नहीं लिया जाएगा. यानी उनकी रिकवरी नहीं होगी. हालांकि, अब उनके वेतन को नए नियमों के अनुसार दोबारा तय किया जाएगा. इस संबंध में महानिदेशक शिक्षा को औपचारिक पत्र भी भेज दिया गया है, ताकि इस फैसले को जल्द लागू किया जा सके.

वेतन से एक इंक्रीमेंट कम हो जाएगा

सूत्रों के मुताबिक, वेतन का पुनर्निर्धारण होने के बाद इन शिक्षकों के मौजूदा वेतन से एक इंक्रीमेंट कम हो जाएगा. इसका मतलब यह है कि भविष्य में उन्हें एक अतिरिक्त इंक्रीमेंट का लाभ नहीं मिलेगा. प्रदेश में ऐसे करीब पांच हजार शिक्षक हैं, जिन्होंने चयन या प्रोन्नत वेतनमान मिलने पर एक इंक्रीमेंट का फायदा लिया था और अब वही शिक्षक इस नए फैसले के दायरे में आएंगे.

क्यों बनी थी भ्रम की स्थिति?

इस पूरे मामले की शुरुआत साल 2016 से मानी जाती है. उत्तराखंड में शिक्षकों को सामान्य तौर पर 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद चयन वेतनमान और 12 साल की सेवा के बाद प्रोन्नत वेतनमान दिया जाता है. जब सातवां वेतन आयोग लागू हुआ, तब चयन और प्रोन्नत वेतनमान पाने वाले शिक्षकों को एक अतिरिक्त इंक्रीमेंट भी मिलने लगा. उस समय इसे लेकर कोई स्पष्ट नियम नहीं था, जिससे भ्रम की स्थिति बनी रही.

सरकार ने एक नया शासनादेश जारी किया

बाद में 6 सितंबर 2019 को राज्य सरकार ने एक नया शासनादेश जारी किया. इसके तहत यह व्यवस्था कर दी गई कि चयन या प्रोन्नत वेतनमान मिलने पर शिक्षकों का वेतन सीधे वेतन मैट्रिक्स की अगली कोष्ठिका में तय किया जाएगा और अलग से इंक्रीमेंट नहीं दिया जाएगा. लेकिन इससे पहले यानी 1 जनवरी 2016 से 13 सितंबर 2019 के बीच, बड़ी संख्या में शिक्षकों को अतिरिक्त इंक्रीमेंट का लाभ मिल चुका था.

क्या विवाद का अंत होगा?

2019 के बाद शिक्षा विभाग ने इन शिक्षकों से अतिरिक्त दिए गए इंक्रीमेंट की राशि वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. इस फैसले से नाराज होकर शिक्षकों ने हाईकोर्ट का रुख किया. हाईकोर्ट ने रिकवरी पर रोक लगा दी, जिसके कारण तब तक शिक्षकों को इंक्रीमेंट का लाभ मिलता रहा. अब सरकार ने साफ कर दिया है कि रिकवरी नहीं की जाएगी, लेकिन वेतन को नए नियमों के अनुसार संशोधित किया जाएगा. इससे विवाद का अंत होने की उम्मीद जताई जा रही है.