वोटिंग की उलझन का चुनाव आयोग ने किया समाधान, मायके-ससुराल के बीच फंसी महिलाओं ने ली राहत की सांस

उत्तराखंड में एसआईआर प्रक्रिया जल्द ही शुरु होने वाली है. उत्तराखंड में SIR दिसंबर या जनवरी से शुरू होने वाली है. लेकिन उससे पहले जनता की शंकाओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार और चुनाव आयोग ने एक अनोखी पहल की है.

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Meenu Singh

उत्तराखंड: SIR को लेकर देशवासियों के मन में कई प्रश्न है. देश भर में प्री-एसआईआर शुरु हो चुका है. उत्तराखंड में भी एसआईआर जल्द ही शुरु होने वाला है. उत्तराखंड में मतदाता सूची सुधार की प्रक्रिया यानी की SIR दिसंबर या जनवरी से शुरू होने वाली है। 

लेकिन उससे पहले जो प्री -एसआईआर की प्रक्रिया चल रही है उसे लेकर भी लोगों के मन में कई शंका है. तो अब जनता की इन शंकाओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार और चुनाव आयोग ने एक अनोखी पहल की है . उन्होंने इस प्रक्रिया के दौरान कोई भी कंफ्यूजन होने पर एक वोटर हेल्पलाइन नंबर- 1950 बनाया है जिस पर कॉल करके आप जानकारी ले सकते हैं. 

महिलाओं को हो रही समस्या

दरअसल प्री एसआईआर के तहत 70 प्रतिशत महिलाओं की मैपिंग का टारगेट रखा गया है. इसके लिए बीएलओ ने घर-घर जाकर वोटर्स से संपर्क करना भी शुरु कर दिया है. इस दौरान एक समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जोकि 2003 रिकॉर्ड के समय दूसरे विधानसभा क्षेत्र में थी तो मैपिंग में समस्या हो रही है इसके अलावा शादीशुदा महिलाओं को मायके की वोटर लिस्ट में खुद को मैपिंग करवाना पड़ रहा है. इस प्रक्रिया में महिला को बहुत सी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन अब इसका समाधान निकाल लिया गया है. 

जारी किया हेल्प लाइन नंबर

इस पूरी प्रक्रिया में महिलाओं को कई परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है. अब मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने इन परेशानी से बचने के लिए इसका समाधान निकाला है. उन्होंने एक हेल्ड डेस्क और हेल्पलाइन नंबर बनाया. हेल्पलाइन नंबर- 1950 पर आप कोई भी जानकारी ले सकते हैं. 

देने होंगे मायके के दस्तावेज 

दिसंबर या जनवरी से शुरू होने वाली है। इस दौरान चुनाव आयोग उन महिलाओं से जरूरी दस्तावेज मांग सकता है, जो दूसरे राज्यों से शादी करके उत्तराखंड में आई हैं, ताकि उनका नाम मतदाता सूची में सही तरीके से बना रहे।

अगर कोई महिला 2003 के बाद दूसरे राज्य से उत्तराखंड आई है, तो उसे अपने मायके से आवश्यक दस्तावेज जुटाने होंगे। अगर 2003 में उनका नाम मायके की वोटर लिस्ट में था, तो वह जानकारी एसआईआर में देना जरूरी है।