रायबरेली में 'ड्रोन चोर' अफवाह पर भीड़ ने दलित को पीट-पीटकर उतारा मौत के घाट, कांग्रेस ने सरकार पर बोला हमला

उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या के बाद बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. पुलिस का कहना है कि युवक को 'ड्रोन चोर' समझकर ग्रामीणों ने हमला किया.

social media
Kuldeep Sharma

रायबरेली में एक दलित युवक की भीड़ द्वारा की गई हत्या ने उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल मचा दी है. पुलिस जहां इसे 'अफवाह के चलते हुई गलती' बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे राजनीतिक रंग देने से नहीं चूक रही. 

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में युवक के मुंह से 'राहुल गांधी' शब्द सुनाई देने और हमलावरों के 'बाबा समर्थक' कहने के बाद अब यह घटना सियासी तूल पकड़ चुकी है.

'ड्रोन चोर' की अफवाह से शुरू हुआ हादसा

पुलिस के मुताबिक, फतेहपुर का रहने वाला 38 वर्षीय हरिओम अपने ससुराल डंडेपुर जमुनापुर जा रहा था. रास्ते में कुछ लोगों ने उसे रोक लिया और उस पर आरोप लगाया कि वह 'ड्रोन से घरों पर निशान लगाने वाले गिरोह' का सदस्य है. देखते ही देखते भीड़ ने बेल्ट और डंडों से उसकी बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी. गंभीर चोटों की वजह से हरिओम की मौके पर ही मौत हो गई.

वायरल वीडियो ने बदली कहानी की दिशा

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें हरिओम कमजोर आवाज में 'राहुल गांधी' कहते सुना जा सकता है. इसके जवाब में भीड़ में शामिल कुछ लोग कहते हैं, 'यहां सब बाबा के हैं.' कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने इसी वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि हमलावर मुख्यमंत्री के समर्थक थे. उन्होंने आरोप लगाया कि 'बीजेपी राज में कोई भी सुरक्षित नहीं है.'

कांग्रेस ने उठाए कानून व्यवस्था पर सवाल

कांग्रेस ने इस घटना को लेकर प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा है. पार्टी प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने कहा कि जब मुख्यमंत्री खुद समाज में विभाजन की भाषा बोलते हैं, तो उनके समर्थकों का यह व्यवहार आश्चर्यजनक नहीं है. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर यह अफवाहों का मामला था तो प्रशासन ने पहले से एहतियात क्यों नहीं बरता?

पुलिस की कार्रवाई और फैलती अफवाहें

रायबरेली एसपी डॉ. यशवीर सिंह ने बताया कि पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उंचाहार थाने के एसएचओ संजय कुमार को लापरवाही के कारण हटा दिया गया है. उन्होंने माना कि इलाके में 'ड्रोन से चोरी करने वाले गिरोह' की अफवाहें पहले से फैल रही थीं, जिन पर रोक नहीं लगाई जा सकी. अब पुलिस ने ऐसे फेक मैसेज फैलाने वालों पर निगरानी बढ़ा दी है.

यह घटना न केवल एक अफवाह की भयावह परिणति दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सोशल मीडिया और अफवाहों का संगम कितना खतरनाक हो सकता है. फिलहाल पुलिस ने त्वरित कार्रवाई का दावा किया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसी अफवाहें फिर किसी और जान नहीं लेंगी?