ये टाइगर कुछ भी कर सकता है! दो नदियां तैरकर रणथंभौर से कोटा के जंगलों में ऐसे पहुंचा बाघ

Tiger Reaches To Kota Jungle: राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व से टी-2512 नामक बाघ नए इलाके की खोज में कोटा जिले के जंगलों में पहुंच गया है. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक शिखा मेहरा के निर्देश पर, बाघ को मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया है. अधिकारियों ने समिति का गठन कर यह फैसला लिया.

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Princy Sharma

Kota News: राजस्थान के रणथंभौर से अजब गजब मामला सामने आया है जहां राज्य के प्रसिद्ध रणथंभौर टाइगर रिजर्व का मूल निवासी टी-2512 नामक एक बाघ नए क्षेत्र की तलाश में कोटा जिले के जंगलों में पहुंच गया है. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक शिखा मेहरा के निर्देशों के बाद, अधिकारियों ने बाघ को कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में ट्रांसफर करने का निर्णय लिया है. अधिकारियों द्वारा गठित पांच सदस्यीय समिति ने इस निर्णय को अंतिम रूप दे दिया है. बाघ के पकड़े जाने के बाद, उसे मुकुंदरा टाइगर रिजर्व ले जाया जाएगा.

वन्यजीव विशेषज्ञ धर्मेंद्र खांडल ने पुष्टि की है कि बाघ नए आवास की तलाश में रणथंभौर से निकला और कोटा पहुंचने से पहले दो नदियों - चंबल और पार्वती को पार किया. बाघों के लिए यह यात्रा असामान्य नहीं है, लेकिन यह बाघ नया क्षेत्र खोजने के लिए दृढ़ था, क्योंकि रणथंभौर में रहने का मतलब था प्रभुत्व (dominance) के लिए अन्य बाघों से लड़ना. बाघ रणथंभौर और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व को जोड़ने वाले प्राकृतिक गलियारे से होकर गुजरा.

बाघ को बेहोश कर मुकुंदरा ले जाया जाएगा

यह पहली बार नहीं है जब कोई बाघ रणथंभौर से मुकुंदरा आया हो. लगभग ढाई से तीन साल के बाघ टी-2512 को बेहोश करके मुकुंदरा ले जाया जाएगा. इससे पहले भी ऐसी यात्राएं हो चुकी हैं; उदाहरण के लिए, फरवरी 2019 में टी-98 नाम का एक बाघ 200 किलोमीटर की यात्रा करके मुकुंदरा पहुंचा था, लेकिन दुर्भाग्य से कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई थी. हालांकि, इस बार अधिकारी बाघ की सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं.

कोटा के गांवों में अलर्ट जारी

पिछले तीन दिनों से कोटा के कई इलाकों में बाघ देखा जा रहा है और वन विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है. पार्वती नदी के पास बसे गांव, जिनमें बालूपा, छापोल, संग्रामपुरा और जटवाड़ी शामिल हैं, इलाके में बाघ की गतिविधियों के कारण हाई अलर्ट पर हैं. निवासियों को जंगल में न जाने की चेतावनी दी गई है. वन विभाग बाघ की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहा है, जिसकी पुष्टि ट्रैप कैमरों की फुटेज से हुई है. इस बाघ, टी-2512, की पहचान रणथंभौर की प्रसिद्ध मादा बाघ, टी-107 सुल्तान के शावक के रूप में हुई है.

बाघ के खुलेआम घूमने से ग्रामीण भयभीत

बाघ की मौजूदगी से ग्रामीणों में भय व्याप्त है. कई स्थानीय लोगों ने पार्वती नदी के पास के जंगलों में बाघ देखे जाने की सूचना दी है. वन विभाग ने लोगों से अपनी सुरक्षा के लिए घर के अंदर रहने और जंगल क्षेत्र में जाने से बचने का आग्रह किया है. पुलिस और स्थानीय प्रशासन को स्थिति की जानकारी दे दी गई है और जन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सावधानियां बरती जा रही हैं.

बाघों के नए अभयारण्यों में जाने का इतिहास

कोटा और बूंदी सहित हाड़ौती क्षेत्र के जंगल लंबे समय से बाघों के लिए एक अभयारण्य रहे हैं. बाघ नियमित रूप से रणथंभौर और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व और बूंदी में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व जैसे अभयारण्यों के बीच आते-जाते रहे हैं. ये क्षेत्र बाघों के लिए महत्वपूर्ण प्रजनन स्थल माने जाते हैं, और रामगढ़ विषधारी को 'बाघ नर्सरी' कहा जाता है.

प्राधिकारी स्थिति पर लगातार नज़र बनाए हुए हैं, इसलिए टी-2512 की यात्रा का भविष्य एक दिलचस्प विषय बना हुआ है, और उम्मीद है कि बाघ को मुकुंदरा टाइगर रिज़र्व में एक शांतिपूर्ण नया घर मिल जाएगा.