सम्राट चौधरी को मिला गृह मंत्रालय, 20 साल में पहली बार CM नीतीश कुमार के हाथ से छिटका महत्वपूर्ण विभाग
बीजेपी से आने वाले सम्राट चौधरी अब नीतीश सरकार में कानून-व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे. दो दशकों में यह पहली बार है जब नीतीश कुमार ने गृह विभाग अपने पास नहीं रखा.
पटना: शपथ ग्रहण के एक दिन बाद शुक्रवार को बिहार सरकार में विभागों का बंटवारा कर दिया गया. नई कैबिनेट में सबसे महत्वपूर्ण गृह विभाग डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को दिया गया है.
बीजेपी से आने वाले सम्राट चौधरी अब नीतीश सरकार में कानून-व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे. दो दशकों में यह पहली बार है जब नीतीश कुमार ने गृह विभाग अपने पास नहीं रखा.
गुरुवार को नीतीश कैबिनेट के 24 मंत्रियों ने शपथ ली थी, लेकिन अभी केवल 18 मंत्रियों को विभाग मिले हैं. बाकी छह विभागों को लेकर राजनीतिक हलचल जारी है. वरिष्ठ नेता रामकृपाल यादव को कृषि विभाग सौंपा गया है, जिसे सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालयों में गिना जाता है.
मंत्रियों के बीच विभाग का हुआ बंटवारा
- डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा को भूमि और राजस्व विभाग के साथ खान एवं भूतत्व विभाग दिया गया.
- मंगल पांडे को स्वास्थ्य विभाग के साथ विधि विभाग की जिम्मेदारी मिली.
- दिलीप जायसवाल को उद्योग मंत्री नियुक्त किया गया.
- नितिन नवीन को पथ निर्माण विभाग के साथ नगर विकास व आवास विभाग सौंपा गया.
- रामकृपाल यादव को कृषि मंत्री बनाया गया.
- संजय टाइगर को श्रम संसाधन विभाग की कमान दी गई.
- अरुण शंकर प्रसाद को पर्यटन तथा कला, संस्कृति और युवा विभाग मिला.
- सुरेंद्र मेहता को पशु और मत्स्य संसाधन विभाग दिया गया.
- नारायण प्रसाद को आपदा प्रबंधन विभाग मिला.
- रमा निषाद को पिछड़ा व अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग सौंपा गया.
- लखेंद्र पासवान को SC/ST कल्याण विभाग मिला.
- श्रेयसी सिंह को सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के साथ खेल विभाग भी दिया गया.
- प्रमोद चंद्रवंशी को सहकारिता तथा पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग मिला.
- LJPR कोटे में गन्ना उद्योग और लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग दिए गए.
- HAM कोटे में लघु जल संसाधन विभाग मिला.
- संतोष सुमन को फिर से लघु जल संसाधन विभाग की जिम्मेदारी मिली.
- दीपक प्रकाश को पंचायती राज विभाग का मंत्री बनाया गया.
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए भारी बहुमत हासिल किया. चुनावी नतीजों में गठबंधन को स्पष्ट जनसमर्थन मिला, जिससे राज्य में उसकी सरकार बनाने का रास्ता आसान हो गया. मतदाताओं ने एक बार फिर NDA के नेतृत्व और नीतियों पर भरोसा जताते हुए बड़ी संख्या में उसके उम्मीदवारों को विजयी बनाया. इस निर्णायक जीत ने न केवल NDA की राजनीतिक पकड़ को मजबूत किया, बल्कि विपक्ष पर भी गहरा दबाव बनाया है.