Bihar SIR: चुनाव आयोग पर नेगेटिव टिप्पणी करने वाले JDU सांसद पर होगा एक्शन! पार्टी ने जारी किया कारण बताओ नोटिस
जदयू का यह कदम दर्शाता है कि पार्टी चुनावी वर्ष में किसी भी तरह के विवाद से बचना चाहती है. गिरीधारी यादव के बयान को पार्टी ने अपनी छवि के लिए नुकसानदायक माना है, खासकर तब जब विपक्ष चुनाव आयोग और मतदाता सूची संशोधन पर लगातार सवाल उठा रहा है.
बिहार में विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) प्रक्रिया को लेकर जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद गिरीधारी यादव के बयान ने पार्टी के भीतर हलचल मचा दी है. जदयू ने अपने सांसद को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिन्होंने बुधवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को "तुगलकी फरमान" कहा था.
न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, जदयू ने नोटिस में लिखा, "...ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर, विशेष रूप से चुनावी वर्ष में आपके सार्वजनिक बयान न केवल पार्टी को शर्मिंदगी में डालते हैं, बल्कि विपक्ष द्वारा किए गए आधारहीन और राजनीति से प्रेरित आरोपों को अनजाने में विश्वसनीयता भी प्रदान करते हैं..." पार्टी ने इस बयान को अनुशासनहीनता मानते हुए सांसद से स्पष्टीकरण मांगा है.
जानिए विवाद का क्या है कारण!
बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी और भाजपा की सहयोगी जेडी(यू) के बांका सांसद यादव ने संसद के बाहर कहा था, "चुनाव आयोग को कोई व्यावहारिक ज्ञान नहीं है. उसे न तो बिहार का इतिहास पता है और न ही भूगोल; उसे कुछ भी नहीं पता."सांसद ने कहा, "मुझे सारे दस्तावेज़ जुटाने में 10 दिन लग गए," और बताया कि उनका बेटा अमेरिका में रहता है. उन्होंने कहा, "वो सिर्फ़ एक महीने में दस्तख़त कैसे कर देगा?"
उन्होंने कहा, "ये (सर) हम पर ज़बरदस्ती थोपा गया है. ये तुगलकी फ़रमान है चुनाव आयोग का." सांसद ने स्पष्ट किया था कि वह अपनी “निजी राय” दे रहे थे और “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी पार्टी क्या कह रही है.
पार्टी की क्या है रणनीति!
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खान द्वारा हस्ताक्षरित कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, "आप जानते हैं कि कुछ विपक्षी दल, अपने चुनावी परिणामों से निराश होकर, ईसीआई को बदनाम करने के लिए एक निरंतर अभियान चला रहे हैं, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मुद्दे पर, जिसका एकमात्र उद्देश्य एक संवैधानिक निकाय के कामकाज पर जनता में संदेह पैदा करना है."
इसमें कहा गया है , "हमारी पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), ने भारत-नेपाल गठबंधन में रहते हुए और अब एनडीए गठबंधन का हिस्सा होने के नाते, लगातार चुनाव आयोग और ईवीएम के इस्तेमाल का समर्थन किया है. इस संदर्भ में, ऐसे संवेदनशील मामले पर, खासकर चुनावी साल में, आपकी सार्वजनिक टिप्पणियाँ न केवल पार्टी के लिए शर्मिंदगी का कारण बनती हैं, बल्कि अनजाने में विपक्ष द्वारा लगाए गए निराधार और राजनीति से प्रेरित आरोपों को भी विश्वसनीयता प्रदान करती हैं.
इसमें कहा गया है, "जद(यू) आपके आचरण को अनुशासनहीनता मानता है और इस मामले पर पार्टी की घोषित स्थिति के अनुरूप नहीं है। इसलिए आपको इस नोटिस की प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर कारण बताने के लिए कहा जाता है, अन्यथा आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है.