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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान को झटका, 18 नेता चाचा पशुपति पारस की रालोजपा में शामिल

मंगलवार को पटना में रालोजपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक मिलन समारोह में इन नेताओं ने औपचारिक रूप से रालोजपा की सदस्यता ग्रहण की. इस दौरान रालोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस, पूर्व सांसद चंदन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज पासवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल और प्रधान महासचिव केशव सिंह मौजूद रहे.

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Gyanendra Sharma

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है. उनकी पार्टी के खगड़िया जिले के करीब 18 प्रमुख नेताओं ने मंगलवार, 29 जुलाई 2025 को लोजपा (रामविलास) को छोड़कर उनके चाचा और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) का दामन थाम लिया. इस सामूहिक पलायन ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है और चिराग की पार्टी को कमजोर करने का संकेत दे रहा है.

खगड़िया जिले में लोजपा (रामविलास) के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया. इनमें पूर्व जिला अध्यक्ष शिवराज यादव, पूर्व प्रदेश महासचिव रतन पासवान और युवा जिला अध्यक्ष सुजीत पासवान जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं. इन नेताओं ने पिछले सप्ताह 25 जुलाई को बलुआही में एक आपात बैठक के बाद सामूहिक रूप से अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफे का मुख्य कारण खगड़िया सांसद राजेश वर्मा की कार्यशैली और कथित तौर पर कार्यकर्ताओं के साथ अभद्र व्यवहार बताया गया.

शिवराज यादव ने आरोप लगाया कि राजेश वर्मा कार्यकर्ताओं के साथ अमर्यादित व्यवहार करते हैं और उनकी शिकायतों को नजरअंदाज किया जाता है. उन्होंने कहा, "हमने चिराग पासवान को एक खुला पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराने की कोशिश की, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला." इस असंतोष के चलते नेताओं ने रालोजपा में शामिल होने का निर्णय लिया.

मंगलवार को पटना में रालोजपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक मिलन समारोह में इन नेताओं ने औपचारिक रूप से रालोजपा की सदस्यता ग्रहण की. इस दौरान रालोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस, पूर्व सांसद चंदन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज पासवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल और प्रधान महासचिव केशव सिंह मौजूद रहे. समारोह में लगभग 100 कार्यकर्ताओं ने भी रालोजपा का दामन थामा.

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान के लिए यह टूट एक बड़ा राजनीतिक झटका है. खगड़िया में उनकी पार्टी का कमजोर होना न केवल उनकी सियासी रणनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि एनडीए के भीतर उनकी स्थिति पर भी सवाल उठाएगा. दूसरी ओर, पशुपति पारस की रालोजपा को यह मौका अपनी सियासी जमीन मजबूत करने का मिला है.