अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) में 2000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. साथ ही, एजेंसी के बचे हुए कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया है. यह कदम एक संघीय अदालत के फैसले के बाद उठाया गया है, जिसने सरकार को USAID के हजारों कर्मचारियों को उनके पदों से हटाने की अनुमति दी. यह निर्णय USAID कर्मचारियों द्वारा की गई याचिका को खारिज करने के बाद लिया गया.
USAID में कटौती का कारण
डोनाल्ड ट्रंप की सरकार के अनुसार, यह कदम USAID के कामकाज को कम करने की दिशा में उठाया गया है. प्रशासन ने पहले ही वाशिंगटन स्थित मुख्यालय को बंद कर दिया था और दुनिया भर में कई विकास और सहायता परियोजनाओं को भी समाप्त कर दिया था. इसके अलावा, USAID के कर्मचारियों को जो मिशन-क्रिटिकल कार्यों से संबंधित नहीं थे, उन्हें अवकाश पर भेजने का आदेश दिया गया है.
अदालत का फैसला और प्रशासन का कदम
अमेरिकी जिला न्यायाधीश कार्ल निकोल्स ने USAID कर्मचारियों द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सरकार के फैसले पर अस्थायी रोक लगाने की मांग की गई थी. इसके परिणामस्वरूप, प्रशासन ने यह निर्णय लिया कि सभी प्रत्यक्ष नियुक्त कर्मचारियों को रविवार रात 11:59 बजे तक अवकाश पर भेज दिया जाएगा, सिवाय उन कर्मचारियों के जिनकी भूमिकाएं मिशन से जुड़ी हैं या जो विशेष कार्यों में लगे हुए हैं.
इन पर भी गिरी गाज
इस निर्णय के बाद, USAID के सैंकड़ों ठेकेदारों को भी शनिवार और रविवार को बिना किसी विशिष्ट नाम और नौकरी विवरण के अनाम इस्तीफा पत्र प्राप्त हुए. यह पत्र कर्मचारियों के लिए परेशानियों का कारण बन सकते हैं क्योंकि इसमें नाम और नौकरी से जुड़ी जानकारी का अभाव है, जिससे बेरोजगारी भत्ते का दावा करने में मुश्किल हो सकती है.
विदेशी सहायता को लेकर विवाद
इस कदम के बावजूद, ट्रंप प्रशासन को अंतरराष्ट्रीय सहायता संगठनों और विधायकों से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है. उनका मानना है कि USAID में कर्मचारियों की छंटनी और विदेशी सहायता कार्यक्रमों के समापन से वैश्विक मानवीय प्रयासों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि, एक अन्य संघीय अदालत ने विदेश सहायता पर रोक लगाने वाले आदेश को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है, जिससे सरकार को कुछ सहायता निधि को फिर से बहाल करने का आदेश दिया गया है.