ट्रंप ने सऊदी अरब को नॉन NATO सहयोगी बनाने का किया ऐलान, क्राउन प्रिंस को बताया अपना खास दोस्त

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब को मेजर नॉन-नाटो एलाइ के रूप में मान्यता दी है. इस कदम से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग मजबूत होगा और सैन्य उपकरणों की खरीद आसान होगी.

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Kuldeep Sharma

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को सऊदी अरब को मेजर नॉन-नाटो एलाइ घोषित करने की घोषणा की है. यह कदम दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करने के लिए उठाया गया है. 

ट्रंप ने कहा कि यह सैन्य सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा. इस अवसर पर अमेरिकी और सऊदी दोनों देशों के शीर्ष व्यापारिक और सेलिब्रिटी व्यक्तित्व भी मौजूद थे. इस घोषणा के साथ ही सऊदी अरब अमेरिका के 20वें प्रमुख नॉन-नाटो सहयोगी बन गए.

ट्रंप ने MBS को कहा अपना खास दोस्त

ट्रंप ने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को व्हाइट हाउस में जोरदार स्वागत किया और कहा कि वे उनके बहुत अच्छे दोस्त हैं. उन्होंने 2018 में पत्रकार जमाल खासोगी की हत्या मामले में भी प्रिंस को दोषमुक्त बताया. इस दौरान दोनों देशों ने हल्के शब्दों में रक्षा सहयोग समझौते पर सहमति जताई और भविष्य में F-35 लड़ाकू विमानों की बिक्री पर भी चर्चा हुई.

सैन्य सहयोग में बढ़ोतरी

मेजर नॉन-नाटो एलाइ घोषित होने का मतलब है कि सऊदी अरब अब अमेरिका से विशेष सैन्य उपकरणों को प्राथमिकता पर खरीद सकेगा और संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रमों में भाग ले सकेगा. यह स्थिति अब मध्य पूर्व में अमेरिका के अन्य सहयोगी देशों, जैसे मिस्र, इजराइल और कतर के साथ सऊदी अरब को भी जोड़ती है.

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व्यापार और निवेश का माहौल

मोहम्मद बिन सलमान की यात्रा के दौरान अरबपति और सेलिब्रिटी जैसे एलन मस्क, क्रिस्टियानो रोनाल्डो, टीम कुक, जेन फ्रेजर समेत कई लोग शामिल थे. वहां खाने के लिए खासतौर पर लैंब रैक परोसा गया. इस अवसर पर ट्रंप ने सऊदी अरब से 1 ट्रिलियन डॉलर निवेश बढ़ाने की भी उम्मीद जताई.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और तकनीक समझौते

ट्रंप ने बताया कि अमेरिका और सऊदी अरब ने एआई तकनीक साझा करने पर भी सहमति जताई है, जबकि अमेरिकी तकनीक की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी. तकनीकी क्षेत्र में सौदे के जरिए सऊदी अरब की कंपनी Humain को उन्नत चिप्स की आपूर्ति की जाएगी.

क्षेत्रीय राजनीति पर असर

मोहम्मद सलमान की व्हाइट हाउस यात्रा और ट्रंप के साथ समझौते, मध्य पूर्व में भौगोलिक और राजनीतिक संतुलन पर असर डाल सकते हैं. दोनों देशों ने रक्षा, निवेश और तकनीक में सहयोग बढ़ाने के समझौते किए. यह कदम इजराइल-फिलिस्तीन विवाद में भी अहम भूमिका निभा सकता है.