प्लास्टिक अब पर्यावरण के लिए खतरा नहीं! जापानी वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया से बनाया Eco-Friendly Plastic, हैरान कर देगी खासियत 

Biodegradable plastics: आज प्लास्टिक के बिना मानव जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती. यही कारण है कि इसका उत्पादन इतनी तेज़ी से और इतनी बड़ी मात्रा में हो रहा है. इससे हमारे पर्यावरण को भी काफ़ी नुकसान पहुंचता है. अत्यधिक प्लास्टिक वैश्विक प्रदूषण में काफ़ी योगदान देता है. लेकिन अब इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है.

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Anubhaw Mani Tripathi

Eco-friendly plastics: प्लास्टिक हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन इसका उत्पादन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और वैश्विक प्रदूषण को बढ़ाता है. जापान की कोबे यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक क्रांतिकारी खोज की है, जिसमें बैक्टीरिया की मदद से पर्यावरण-अनुकूल प्लास्टिक घटक विकसित किया गया है. यह नई तकनीक न केवल उत्पादन को बढ़ाती है, बल्कि जहरीले कचरे को भी समाप्त करती है, जिससे बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के निर्माण में मदद मिलेगी.

आज प्लास्टिक के बिना मानव जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती. यही कारण है कि इसका उत्पादन इतनी तेज़ी से और इतनी बड़ी मात्रा में हो रहा है. इससे हमारे पर्यावरण को भी काफ़ी नुकसान पहुंचता है. अत्यधिक प्लास्टिक वैश्विक प्रदूषण में काफ़ी योगदान देता है. लेकिन अब इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है. जापान के कोबे विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक क्रांतिकारी खोज की है, जिसमें बैक्टीरिया का उपयोग करके पर्यावरण के अनुकूल प्लास्टिक घटक विकसित किया गया है. यह नई तकनीक न केवल उत्पादन को बढ़ाती है, बल्कि जहरीले कचरे को भी समाप्त करती है, जिससे बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के निर्माण में मदद मिलेगी.

बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक की दिशा में नया कदम

शोधकर्ताओं ने पाइरीडीनडाइकारबॉक्सिलिक एसिड (PDCA) नामक एक सामग्री विकसित की है, जो PET प्लास्टिक में उपयोग होने वाले हानिकारक तत्व टेरेफ्थालिक एसिड का विकल्प हो सकती है. PDCA नाइट्रोजन-आधारित और बायोडिग्रेडेबल है, जो इसे पर्यावरण के लिए अधिक सुरक्षित बनाता है. यह सामग्री पारंपरिक पेट्रोलियम-आधारित प्लास्टिक पर निर्भरता कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.

पारंपरिक PDCA उत्पादन में कम उपज और जहरीले कचरे की समस्या थी. जापानी वैज्ञानिकों ने एस्चेरिचिया कोलाई (E. coli) बैक्टीरिया को संशोधित कर इस समस्या का समाधान किया. उन्होंने बैक्टीरिया को ग्लूकोज खिलाया और विशेष एंजाइमों का उपयोग कर एक स्वच्छ, जैविक प्रक्रिया के माध्यम से PDCA का उत्पादन किया. इस नई तकनीक से उत्पादन सात गुना बढ़ गया और जहरीले उप-उत्पाद पूरी तरह समाप्त हो गए.

पर्यावरण के लिए आशा की किरण

बायोइंजीनियर तनाका त्सुतोमु ने कहा, "हमने इस चुनौती को एक नए दृष्टिकोण से देखा. हमने सेलुलर मेटाबॉलिज्म का उपयोग कर नाइट्रोजन को शामिल किया और पूरी तरह से स्वच्छ प्रक्रिया विकसित की." हालांकि, उत्पादन के दौरान एक नया हानिकारक उप-उत्पाद सामने आया.

वैज्ञानिकों ने इसे पाइरूवेट जोड़कर हल किया, लेकिन औद्योगिक स्तर पर उत्पादन बढ़ाने में यह नई चुनौतियां पेश कर सकता है. यह शोध जो मेटाबॉलिक इंजीनियरिंग जर्नल में प्रकाशित हुआ, बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति दर्शाता है. यह तकनीक प्लास्टिक प्रदूषण संकट को कम करने और पेट्रोलियम-आधारित उत्पादों पर निर्भरता घटाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.