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India Daily

'बेशर्म झूठ...', ग्रेटा थनबर्ग के साथ हिरासत में अत्याचार के आरोपों को इजरायल ने नकारा

Israeli Foreign Ministry statement on Greta Thunberg controversy: इजरायल के विदेश मंत्रालय ने रविवार को स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और अन्य कार्यकर्ताओं के साथ हिरासत में दुर्व्यवहार के आरोपों को “बेशर्म झूठ” करार दिया.

Israeli Foreign Ministry statement on Greta Thunberg controversy
Courtesy: x/ @UNHumanWrongs

Israeli Foreign Ministry statement on Greta Thunberg controversy: इजरायल हमास और उसके समर्थन वालें देशों पर लगातार हमला कर रहा है. वही दोनों देशों के बीच युद्ध को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक समय सिमा का अल्टीमेटम दिया था. जो कुछ दिन देर में पूरा हो जायेगा.

वही इस युद्ध को रुकने के लिए इजरायल ने कई शर्त रखे थे, लेकिन अभी तक हमसा ने एक भी शर्त को पूरा नहीं किया है. इस बीच, ग्रेटा थनबर्ग विवाद बढ़ गया है, जिसके बाद इजरायली विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है.

इजरायल के विदेश मंत्रालय ने रविवार को स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और अन्य कार्यकर्ताओं के साथ हिरासत में दुर्व्यवहार के आरोपों को “बेशर्म झूठ” करार दिया. मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि सभी बंदियों के कानूनी अधिकारों का पूरी तरह पालन किया गया और किसी भी बंदी, जिसमें थनबर्ग भी शामिल हैं, उन्होंने हिरासत के दौरान किसी प्रकार की शिकायत दर्ज नहीं कराई.

कानूनी अधिकारों का पूरा सम्मान किया गया

इजरायली विदेश मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा, “ग्रेटा थनबर्ग और अन्य बंदियों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया गया. सभी बंदियों के कानूनी अधिकारों का पूर्ण रूप से पालन किया गया.” इस बयान में यह भी कहा गया कि थनबर्ग और अन्य कार्यकर्ताओं ने खुद अपनी निर्वासन प्रक्रिया को तेज करने से इनकार कर दिया और स्वेच्छा से अधिक समय तक हिरासत में रहना चुना.

मंत्रालय ने तंज करते हुए कहा कि दिलचस्प बात यह है कि ग्रेटा और अन्य बंदियों ने अपने निर्वासन की प्रक्रिया तेज करने से इनकार कर दिया और हिरासत में अधिक समय तक रहना पसंद किया. उन्होंने किसी भी ‘झूठे और हास्यास्पद’ आरोप के बारे में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई क्योंकि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं.

फ्लोटिला पर कार्रवाई 

यह विवाद उस समय उभरा जब इज़राइल ने शनिवार को गाजा की ओर जा रहे एक मानवीय सहायता बेड़े (फ्लोटिला) को रोककर 400 से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया. इनमें से 137 लोगों को बाद में रिहा कर तुर्की के इस्तांबुल भेज दिया गया.

ग्लोबल सुमुद फ्लोटिला नामक यह अभियान गाजा के युद्धग्रस्त लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था. लेकिन इज़राइल ने इसे रोकते हुए कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, जिसके बाद यूरोप से लेकर दक्षिण अमेरिका तक विरोध प्रदर्शनों की लहर फैल गई.

बीवर ने रॉयटर्स को दी जानकारी 

मलेशिया की कार्यकर्ता हज़वानी हेल्मी (28) और अमेरिकी कार्यकर्ता विंडफील्ड बीवर ने रॉयटर्स को बताया कि थनबर्ग के साथ दुर्व्यवहार किया गया. बीवर के अनुसार, “ग्रेटा को धक्का दिया गया और उन्हें ज़बरदस्ती इज़राइली झंडा ओढ़ने को कहा गया. यह बेहद अपमानजनक था. हमें जानवरों की तरह ट्रीट किया गया.” हेल्मी ने कहा कि थनबर्ग को एक कमरे में धकेला गया, जब इज़राइल के अति-दक्षिणपंथी राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-गवीर वहां पहुंचे.

बार्सिलोना में लोगों ने किया विरोध 

इजरायली कार्रवाई के विरोध में दुनियाभर में प्रदर्शन हुए. बार्सिलोना में लगभग 15,000 लोगों ने सड़कों पर उतरकर “गाजा तुम अकेले नहीं हो”, “इजरायल का बहिष्कार करो” और “फिलिस्तीन को आजादी दो” जैसे नारे लगाए. इसी तरह के विरोध जर्मनी, नीदरलैंड, ट्यूनिशिया, ब्राज़ील और अर्जेंटीना में भी दर्ज किए गए.

ग्रेटा थनबर्ग के साथ कथित दुर्व्यवहार का मामला अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है. जबकि इजरायल इसे पूरी तरह “झूठा प्रचार” बता रहा है, वहीं फ्लोटिला में शामिल कार्यकर्ता अपनी बात पर अडिग हैं. अब देखना यह होगा कि इस विवाद पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय किस पक्ष का समर्थन करता है.