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Israel Iran War: पहली बार अमेरिका ने ईरान पर गिराया सबसे खतरनाक GBU-57 बम, जानें क्यों है ये हमला खास

यह हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक बड़ा रणनीतिक और राजनीतिक संदेश है. अमेरिका ने साफ कर दिया है कि वो ईरान के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट को बर्दाश्त नहीं करेगा. अब सबकी नजर ईरान के जवाबी कदम पर टिकी है.

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Reepu Kumari

Middle East Crisis: ईरान और अमेरिका के बीच चल रही तनातनी अब सबसे खतरनाक मोड़ पर आ गई है. अमेरिका ने हाल ही में ईरान के फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान जैसे अहम परमाणु ठिकानों पर जबरदस्त हवाई हमला किया. खास बात ये रही कि इस बार अमेरिका ने पहली बार अपने सबसे ताकतवर पारंपरिक बम GBU-57 का इस्तेमाल किया है, जो ज़मीन के काफी अंदर तक जाकर धमाका करता है.

इस ऑपरेशन में बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर विमानों का इस्तेमाल हुआ, जो दो-दो GBU-57 बम लेकर उड़े थे. हर बम का वजन करीब 30,000 पाउंड यानी लगभग 15 टन होता है और ये 200 फीट ज़मीन के अंदर या 60 फीट मजबूत कंक्रीट को भी भेद सकता है. अमेरिका के इस कदम को ईरान के परमाणु ढांचे पर अब तक की सबसे बड़ी सीधी कार्रवाई माना जा रहा है.

क्या है GBU-57 बम और क्यों है इतना खास?

GBU-57 यानी Massive Ordnance Penetrator (MOP) एक ऐसा बम है जिसे खास तौर पर बंकर और भूमिगत ठिकानों को तबाह करने के लिए बनाया गया है.

30,000 पाउंड वजनी

  • 200 फीट गहराई तक मार करने की क्षमता
  • बेहद मजबूत किलेबंद ठिकानों पर सीधा वार

फोर्डो बना मुख्य निशाना

ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट को लंबे वक्त से उसके परमाणु कार्यक्रम का सबसे अहम हिस्सा माना जाता रहा है. यह प्लांट एक पहाड़ के नीचे बना है और इसे काफी सुरक्षित समझा जाता था. लेकिन GBU-57 के हमले ने इसकी सुरक्षा को पूरी तरह चकनाचूर कर दिया.

टॉमहॉक मिसाइलों से हुआ और हमला

फोर्डो पर हवाई बमबारी के अलावा अमेरिका ने अपनी नौसेना की पनडुब्बियों से 30 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें भी दागीं. इनका निशाना नतांज़ और इस्फ़हान की परमाणु साइट्स थीं, जो ईरान के यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम के बड़े केंद्र हैं.

क्या है इसका असर?

यह हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक बड़ा रणनीतिक और राजनीतिक संदेश है. अमेरिका ने साफ कर दिया है कि वो ईरान के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट को बर्दाश्त नहीं करेगा. अब सबकी नजर ईरान के जवाबी कदम पर टिकी है.