नई दिल्ली: पापुआ न्यू गिनी से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है.
जर्मन भूविज्ञान अनुसंधान केंद्र ((GFZ) के अनुसार, सोमवार सुबह 10:31 बजे जीएमटी पर पापुआ न्यू गिनी क्षेत्र में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप का केंद्र 106 किलोमीटर की गहराई पर बताया जा रहा है.
Magnitude 6.4 earthquake struck Eastern New Guinea region, Papua New Guinea, at 10:31 UTC (20:31 local time), depth around 88 km; tsunami evaluation is underway with no confirmed tsunami yet. #sismo #deprem pic.twitter.com/kV275gYaNa
— GeoTechWar (@geotechwar) December 22, 2025
पापुआ न्यू गिनी में भूकंप के झटके महसूस किए जाने के बाद इलाके में सतर्कता बढ़ गई है और लोगों में चिंता का माहौल है. स्थानीय अधिकारी भूकंप के संभावित असर और इसके बाद आने वाले झटके का आकलन कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार, गोरोका से लगभग 26 मील उत्तर-पूर्व में भूकंप आया है. स्थानीय प्रशासन ने तुरंत प्रभावित इलाकों की स्थिति का जायजा लेना शुरू कर दिया है. अधिकारी यह भी देख रहे हैं कि भूकंप से किसी प्रकार की तबाही या नुकसान तो नहीं हुआ और भविष्य में किसी भी झटके से कैसे निपटा जाए.
पापुआ न्यू गिनी रिंग ऑफ फायर के हिस्से में आता है. यह क्षेत्र प्रशांत महासागर के किनारे स्थित है और भूकंपीय और ज्वालामुखीय गतिविधियों के लिए बहुत सक्रिय माना जाता है. इस इलाके में दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखी पाए जाते हैं, जिससे भूकंप और झटकों की घटनाएं आम हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस क्षेत्र में हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि यहां भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियां लगातार होती रहती हैं. स्थानीय प्रशासन और वैज्ञानिक लगातार इस तरह की घटनाओं पर नजर रख रहे हैं ताकि समय रहते लोगों को सुरक्षित किया जा सके. इस भूकंप के बाद जनता को भी सतर्क रहने और सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दी गई है.
भूकंप क्यों आता है?
पृथ्वी की सतह के नीचे सात बड़ी प्लेटें लगातार घूमती रहती हैं. जब ये प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं, तो यह क्षेत्र फॉल्ट लाइन कहलाता है. लगातार टकराने के कारण प्लेटों के किनारे मुड़ जाते हैं और जब दबाव अत्यधिक बढ़ जाता है, तो प्लेटें टूटती हैं. इससे धरती के भीतर जमा ऊर्जा बाहर निकलती है और भूकंप आता है.
भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है, जहां प्लेटों की हलचल सबसे ज्यादा होती है और वहीं से ऊर्जा बाहर निकलती है. केंद्र के पास कंपन सबसे ज्यादा महसूस होता है और जैसे-जैसे दूरी बढ़ती है, कंपन का असर कम होता जाता है. रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक तीव्रता वाला भूकंप आसपास के 40 किलोमीटर तक क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है.
भूकंप को रिक्टर स्केल से मापा जाता है, जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहते हैं. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 1 से 9 तक मापी जाती है. भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकलने वाली ऊर्जा की मात्रा इसी पैमाने से तय की जाती है, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि भूकंप के झटके कितने शक्तिशाली होंगे.