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'चोरी ऊपर से सीना जोरी', बांग्लादेश दीपू दास की लिंचिंग पर एक्शन लेने की जगह दे रहा ये धमकी!

बांग्लादेश ने सुरक्षा चिंताओं के बीच भारत में अपनी राजनयिक मौजूदगी घटाने के संकेत दिए हैं. दीपू चंद्र दास की हत्या, नई दिल्ली में विरोध और दोनों देशों के बयानों ने भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव बढ़ा दिया है.

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Kanhaiya Kumar Jha

नई दिल्ली: बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने रविवार को संकेत दिया कि यदि हालात बिगड़ते हैं तो ढाका भारत में अपनी राजनयिक मौजूदगी को कम करने पर विचार कर सकता है. उन्होंने यह टिप्पणी हालिया सुरक्षा घटनाओं और विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में की. एक प्रेस ब्रीफिंग में हुसैन ने कहा कि फिलहाल बांग्लादेश भारत पर भरोसा कर रहा है, लेकिन परिस्थितियां प्रतिकूल होने पर अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जाएगा.

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर भारत की चिंता

रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है. भारत ने बांग्लादेश सरकार से दीपू चंद्र दास की हत्या के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की है. उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत वियना कन्वेंशन के तहत विदेशी मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

बांग्लादेश का पलटवार

तौहीद हुसैन ने भारत के आधिकारिक बयान को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि भारतीय प्रेस नोट में घटनाओं को बेहद सरल रूप में पेश किया गया है, जबकि जमीनी हकीकत कहीं अधिक जटिल है. हुसैन ने सवाल उठाया कि आखिर प्रदर्शनकारी राजनयिक क्षेत्र के इतने करीब कैसे पहुंच गए. उन्होंने यह भी कहा कि दीपू चंद्र दास की हत्या को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति से जोड़ना उचित नहीं है और बांग्लादेश इस मामले में अपनी कानूनी कार्रवाई करेगा.

बढ़ता राजनयिक तनाव

विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरा घटनाक्रम भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव के नए संकेत देता है. आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संवाद की भूमिका अहम होगी ताकि हालात को बिगड़ने से रोका जा सके.