उन्नाव रेप पीड़िता की मां के साथ मारपीट! प्रोटेस्ट करने से रोका, चलती बस से कूदने पर किया मजबूर

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से चौंकाने वाले दृश्य देखे गए, जब उन्नाव रेप पीड़िता और उनकी मां को मीडिया से बात करने से रोक दिया और उनकी मां को चलती बस से कूदने पर मजबूर कर दिया.

Anuj

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से चौंकाने वाले दृश्य देखे गए, जब उन्नाव रेप पीड़िता और उनकी मां को मीडिया से बात करने से रोक दिया और उनकी मां को चलती बस से कूदने पर मजबूर कर दिया. इस दौरान उनके साथ मारपीट भी की गई. यह गंभीर आरोप केंद्रीय अर्धसैनिक बल (CRPF) के कुछ जवानों पर लगाए गए हैं.

हाईकोर्ट के फैसले का विरोध

यह विरोध हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी से निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को अस्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया गया है. पीड़िता और उनकी मां ने न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं. हालांकि, कोर्ट ने सेंगर को सशर्त जमानत प्रदान की है. यह आदेश तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक उनकी अपील पर अंतिम सुनवाई नहीं हो जाती.

इंडिया गेट पर प्रदर्शन

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पीड़िता और उनकी मां ने इंडिया गेट पर प्रदर्शन किया था, जहां से उन्हें देर रात हिरासत में लिया गया. अगले दिन सुबह उन्होंने मण्डी हाउस पर मीडिया से बात करने की योजना बनाई थी, लेकिन उन्हें ले जा रही CRPF बस मण्डी हाउस पर नहीं रुकी. अधिकारियों ने कहा कि उन्हें प्रदर्शन की अनुमति नहीं थी.

पीड़िता और मां की प्रतिक्रिया

पीड़िता की मां ने मीडिया से कहा कि हमें न्याय नहीं मिला है. मेरी बेटी को बंदी बना लिया गया. ऐसा लगता है कि वे हमें खत्म करना चाहते हैं. हम प्रदर्शन करने जा रहे थे, लेकिन CRPF ने जबरदस्ती उन्हें हिरासत में ले लिया. पीड़िता ने भी अदालत के फैसले पर गहरा आक्रोश जताया और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का संकल्प लिया.

न्याय की जंग जारी

23 दिसंबर को इंडिया गेट पर प्रदर्शन के दौरान पीड़िता, उनकी मां और एक्टिविस्ट योगिता भैयाना ने सुरक्षा की चिंता जताई और न्याय की लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया. उन्होंने कहा कि उनका परिवार कई वर्षों से पीड़ा झेल रहा है और पुलिस उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से डराती रही है.

 सेंगर की अपील पर आदेश

आपको बता दें कि जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने सेंगर की उस अपील पर यह आदेश दिया, जिसमें उन्होंने दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सज़ा को चुनौती दी है. हाई कोर्ट ने कहा कि अपील की सुनवाई लंबी चल सकती है, ऐसे में सजा को फिलहाल सस्पेंड किया जा सकता है, लेकिन सख्त शर्तों के साथ.

15 लाख के बॉन्ड पर रिहाई का आदेश

कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को 15 लाख रुपये के पर्सनल बॉन्ड और इतनी ही राशि की तीन जमानतें देने पर रिहा करने का निर्देश दिया है. साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत का लाभ पूरी तरह शर्तों के पालन पर निर्भर करेगा.

पीड़िता की सुरक्षा पर विशेष जोर

हाई कोर्ट ने पीड़िता की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सेंगर को कड़े निर्देश दिए हैं. अदालत ने आदेश दिया कि सेंगर पीड़िता के घर से पांच किलोमीटर के दायरे में प्रवेश नहीं करेंगे. इसके अलावा, वह पीड़िता या उसकी मां को किसी भी तरह से धमकाने, संपर्क करने या प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे. कोर्ट ने साफ कहा कि यदि किसी भी शर्त का उल्लंघन हुआ, तो जमानत तत्काल रद्द कर दी जाएगी.

2017 का मामला और ट्रायल का इतिहास

कुलदीप सिंह सेंगर को जून 2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था. यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बना था. 1 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए इस केस और इससे जुड़े अन्य मामलों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था.