नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में ऐतिहासकि जीत हासिल करने के बाद नए CM के तौर पर विष्णु देव साय को विधायक दल का नेता चुना गया. छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता के तौर पर अपनी पहचान रखने वाले विष्णु देव साय को CM बनाकर BJP ने बड़ा सियासी मास्टर स्ट्रोक चला है. आदिवासी समाज से आने वाली द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने के बाद BJP ने आदिवासी समाज को एक और बड़ा तोहफा दिया है.
विधानसभा चुनावों के दौरान आदिवासी वोटर्स ने बीजेपी के पक्ष में जमकर मतदान किया. जिसके बाद सियासी फिजाओं में इस बात की चर्चा तेज हो चली की BJP आदिवासी चेहरे को सूबे की सूबेदारी सौंप सकती है. बीजेपी को सत्ता के सिंहासन पर पंहुचाने में इन वोर्टस का बेहद अहम रोल रहा है. पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान आदिवासी सशक्तिकरण को जमकर मुद्दा बनाया. जिसका असर चुनावी नतीजों में साफ तौर पर देखने को मिला. ऐसे में BJP ने आदिवासी वोटर्स को रिटर्न गिफ्ट देते हुए सीएम की कुर्सी पर विष्णु देव साय की ताजपोशी करने का फैसला किया है.
बीजेपी ने 2024 लोकसभा चुनाव और भविष्य की सियासी चुनौतियों को देखते हुए अपने वोटबैंक की मजबूत किलेबंदी करने में जुटी हुई है. आदिवासी चेहरे के तौर पर विष्णु देव साय को CM बनाया जाना बीजेपी के लिए सियासी तौर पर मुफिद मानी जा रहा है. जिसकी झलक आने वाले दिनों में देश की सियासी मानचित्र पर देखने को मिलेगी. छत्तीसगढ़ में 34 फीसदी आबादी आदिवासी है और 29 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रहती हैं. जिसमें से 17 पर बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है. ऐसे में इस वोट बैंक को BJP के पक्ष में कायम रखने के लिए BJP ने यह बड़ा दांव चला है. वहीं अगर हम लोकसभा के लिहाज से बात करें तो छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में 9 बीजेपी की झोली में है. छत्तीसगढ़ में बस्तर, कांकेर, सरगुजा और रायगढ़ लोकसभा सीट आदिवासी समाज के लिए आरक्षित हैं. ऐसे में विष्णु देव साय का चेहरा BJP के पक्ष में बड़ा कमाल कर सकता है.
आदिवासी समाज से आने वाले विष्णु देव साय को CM बनाकर BJP ने बड़ा संदेश दिया है. बीजेपी के इस फैसले में बड़ा पॉलिटिकल मैसेज छिपा हुआ है. पूरे देश में साढ़े दस करोड़ के करीब आदिवासी समुदाय है और आदिवासी वोटर 8.9 फीसदी के लगभग हैं. ऐसे में लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. चुनावी नतीजों से सीसे की तरह यह बात साफ है कि आदिवासी वोटरों का पीएम मोदी पर भरोसा बरकारार है. बीते 2019 के लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 47 सीटों में 31 सीटों पर बीजेपी ने बड़ी जीत अपने नाम की थी. ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव में BJP आदिवासी वोटर को साधने की पूरी कवायद करती हुई नजर आएगी. आदिवासी वोर्टस के जरिए बीजेपी की कोशिश आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में विपक्ष को चुनावी मौदान में करारी शिकस्त देते हुए सत्ता पर काबिज होने की होगी.
Stay updated with our latest videos. Click the button below to subscribe now!