Row over joke on disability: समय रैना समेत 4 अन्य कॉमेडियन बिना शर्त मांगे माफी, सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगों पर चुटकुलों के लिए दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने विकलांग लोगों की कीमत पर मजाक बनाने के लिए हास्य कलाकारों की कड़ी आलोचना की है. समय रैना समेत अन्य हास्य कलाकारों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने का आदेश दिया गया है.

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Mayank Tiwari

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (25 अगस्त) को दिव्यांगजनों पर "असंवेदनशील चुटकुले" बनाने वाले हास्य कलाकारों को कड़ी फटकार लगाई है. इस दौरान कोर्ट ने उन्हें अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का निर्देश दिया है. यह निर्देश जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ द्वारा दिव्यांग अधिकार समूह एसएमए क्योर फाउंडेशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस याचिका में हास्य कलाकारों समय रैना, विपुन गोयल, बलराज परमजीत सिंह घई, सोनाली ठक्कर और निशांत जगदीश तंवर पर अपने स्टैंड-अप कंटेंट में दिव्यांगजनों का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया गया था. इस पर पीठ ने हास्य कलाकारों से कहा, "आपने अदालत के समक्ष जो माफी मांगी है, वही माफी अपने सोशल मीडिया के समक्ष भी मांगें.

'दूसरों के साथ हंसने और उन पर हंसने के बीच स्पष्ट रेखा' 

जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने इस बात पर जोर दिया कि हास्य जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है, लेकिन दूसरों के साथ हंसने और उन पर हंसने के बीच एक स्पष्ट रेखा है, खासकर जब यह हाशिए पर रहने वाले समुदायों को टारगेट करता है.

इस दौरान जस्टिस बागची ने कहा, "हास्य को अच्छी तरह से लिया जाता है. लेकिन जब हम दूसरों पर हंसने लगते हैं और संवेदनशीलता का उल्लंघन करते हैं... तब यह समस्या बन जाता है." उन्होंने कहा कि आजकल कई प्रभावशाली लोग भाषण का व्यवसायीकरण कर रहे हैं, और इसका इस्तेमाल न केवल मनोरंजन के लिए बल्कि लाभ के लिए भी कर रहे हैं. "

वे भाषण का व्यवसायीकरण कर रहे - जस्टिस बागची

जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने आगे कहा कि और यही बात आज के तथाकथित प्रभावशाली लोगों को ध्यान में रखनी चाहिए. वे भाषण का व्यवसायीकरण कर रहे हैं. समुदाय का इस्तेमाल किसी खास वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. यह सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी नहीं, बल्कि व्यावसायिक भाषण है.