Sujatha Bhat Claims: बेटी के लापता होने का वाकया सच या मनगढंत कहानी? सुनीता भट्ट के दावों में कितनी सच्चाई

सुजाता भट्ट लंबे समय से यह आरोप लगा रही हैं कि उनकी बेटी अनन्या भट्ट साल 2003 में धर्मस्थल से रहस्यमय ढंग से लापता हो गई थी. उनका दावा है कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने इस मामले को दबाने की कोशिश की.

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Garima Singh

Sujatha Bhat Claims: सुजाता भट्ट लंबे समय से यह आरोप लगा रही हैं कि उनकी बेटी अनन्या भट्ट साल 2003 में धर्मस्थल से रहस्यमय ढंग से लापता हो गई थी. उनका दावा है कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने इस मामले को दबाने की कोशिश की, हालांकि इस कहानी की गहराई में जाने पर कई सवाल उठते हैं, क्योंकि उपलब्ध सबूत और जांच के निष्कर्ष उनके दावों की प्रामाणिकता पर संदेह पैदा करते हैं.

सुजाता का कहना है कि अनन्या मणिपाल के कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की छात्रा थी. लेकिन कॉलेज प्रशासन ने साफ़ किया है कि उनके रिकॉर्ड में अनन्या भट्ट नाम की कोई छात्रा कभी दर्ज नहीं थी. न तो कोई प्रवेश पत्र, न स्कूल रिकॉर्ड, और न ही कोई आधिकारिक प्रमाण पत्र इस दावे की पुष्टि करता है. हैरानी की बात यह है कि सुजाता के परिवार और पुराने परिचितों ने भी कभी उनकी बेटी के अस्तित्व की बात नहीं सुनी. यह सवाल उठता है कि क्या अनन्या की कहानी वास्तविक है या केवल एक काल्पनिक कथा?

एसआईटी जांच ने खोली सच्चाई

मामला तब और उलझ गया जब एक पूर्व सफाई कर्मचारी भीमा ने धर्मस्थल में शव दफनाने का दावा किया और सबूत के रूप में एक खोपड़ी पेश की. विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इस दावे की जांच की और पाया कि यह अवशेष किसी महिला का नहीं, बल्कि पुरुष का था. इस खोज ने सुजाता और भीमा के दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया.

सुजाता की कहानी में विरोधाभास

सुजाता ने यह भी दावा किया कि उनका अपहरण हुआ, उन्हें कुर्सी से बांधा गया, और तीन महीने तक अस्पताल में कोमा में रखा गया. लेकिन क्षेत्र के किसी भी अस्पताल में उनके विवरण से मेल खाता कोई रिकॉर्ड नहीं मिला. इसके अलावा, उन्होंने कोलकाता में सीबीआई में स्टेनोग्राफर के रूप में काम करने की बात कही, लेकिन सीबीआई ने भी उनके रोज़गार रिकॉर्ड से इनकार किया. 1999 से 2007 के बीच सुजाता, प्रभाकर बालिगा के साथ शिवमोग्गा के रिप्पोनपेट में रहती थीं. स्थानीय पत्रिकाओं ने उन्हें "निःसंतान पशु प्रेमी" के रूप में चित्रित किया था, जो उनकी वर्तमान कहानी से पूरी तरह विपरीत है.

प्रतिशोध या सच्चाई?

हाल के वर्षों में, सुजाता ने धर्मस्थल के धर्माधिकारी परिवार पर अपमान और चुप कराने का आरोप लगाया है. लेकिन उनके बयानों में लगातार बदलाव और असंगतियां सामने आई हैं. आलोचकों का मानना है कि ये दावे व्यक्तिगत प्रतिशोध और जनता की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश हो सकते हैं. "लापता बेटी" की कहानी को भावनात्मक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.

फर्जी खबरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

स्थानीय लोग और श्रद्धालु अब कर्नाटक पुलिस से धर्मस्थल के खिलाफ चलाए जा रहे दुष्प्रचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग कर रहे हैं.