'रोहित वेमुला एक्ट' के लिए राहुल गांधी का दबाव, कांग्रेस सरकारों को दी सीधी हिदायत
Rahul Gandhi: रोहित वेमुला अधिनियम का मकसद शैक्षणिक संस्थानों में जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव को खत्म करना और उपेक्षा या उत्पीड़न के मामलों में जिम्मेदारी तय करने के लिए एक ठोस कानूनी ढांचा तैयार करना है.

Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर 'रोहित वेमुला एक्ट' को जल्द से जल्द लागू करने की अपील की है. राहुल गांधी ने अपने पत्र में इस कानून को रोहित वेमुला की याद में एक श्रद्धांजलि बताया और कहा कि यह हाशिए पर पड़े समुदायों के छात्रों को सुरक्षा और न्याय दिलाने की दिशा में एक जरूरी कदम है.
क्या है रोहित वेमुला एक्ट?
बता दें कि प्रस्तावित रोहित वेमुला एक्ट का मकसद अकादमिक संस्थानों में जाति आधारित भेदभाव को रोकना और ऐसी घटनाओं में संस्थानों की जिम्मेदारी तय करना है. इस एक्ट के जरिए छात्रों को एक सुरक्षित और समान वातावरण देने का प्रयास किया जाएगा, जहां उन्हें उनकी जाति के कारण किसी भी प्रकार का अपमान या उत्पीड़न न झेलना पड़े.
कर्नाटक सरकार कर रही कानून पर काम
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राहुल गांधी को जवाबी पत्र में बताया कि राज्य सरकार इस दिशा में पहले ही काम शुरू कर चुकी है. उन्होंने कहा, ''मैंने अपने कानूनी सलाहकारों और टीम को रोहित वेमुला एक्ट का ड्राफ्ट तैयार करने का निर्देश दिया है. यह कानून भेदभाव के खिलाफ निवारक के रूप में काम करेगा.''
वहीं सिद्धारमैया ने राहुल गांधी के पत्र का हवाला देते हुए लिखा, ''जैसा आपने 16 अप्रैल 2025 के पत्र में लिखा, बाबासाहेब आंबेडकर को जिस अपमान का सामना करना पड़ा, वह आज भी कई बच्चों और युवाओं की सच्चाई है. हमें सुनिश्चित करना है कि किसी को भी वैसा अपमान न सहना पड़े.''
रोहित वेमुला की कहानी ने देश को झकझोरा
बता दें कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित पीएचडी स्कॉलर रोहित वेमुला ने जनवरी 2016 में आत्महत्या कर ली थी. अपने सुसाइड नोट में उन्होंने जाति आधारित भेदभाव की बात कही थी, जिसने देशभर में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए थे. तभी से यह मांग उठती रही है कि छात्रों को ऐसे भेदभाव से बचाने के लिए कड़ा कानून बनाया जाए.
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