प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (26 मई) को गुजरात के दाहोद जिले में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो लोग भारत की बेटियों को नुकसान पहुंचाएंगे या आतंक फैलाएंगे, उनका अंत नजदीक है. पीएम मोदी ने दृढ़ता से कहा, "अगर कोई हमारी बहनों के सिंदूर को छूने की हिम्मत करेगा, तो उसका अंत निश्चित है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दाहोद में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए नागरिकों को याद किया और कहा, "उन्होंने बच्चों के सामने उनके पिता को गोली मार दी. आज भी जब हम उन दृश्यों को देखते हैं, हमारा खून खौल उठता है." इस पल ने पूरे राष्ट्र को झकझोर दिया और कठोर कार्रवाई की मांग की.
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकियों का सफाया
प्रधानमंत्री ने 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा, "22 अप्रैल को जिन्होंने हमला किया, हमने उन्हें धूल में मिला दिया." यह जिक्र ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई सफल सैन्य कार्रवाई का था, जिसमें भारतीय सेना ने आतंकियों को करारा जवाब दिया. उन्होंने कहा, "आपने मुझे प्रधानमंत्री बनाया, और मोदी ने सेना को खुली छूट दी." इस कार्रवाई ने दशकों में दुनिया ने जो नहीं देखा, वह हमने कर दिखाया.
पाकिस्तान को मिला करारा जवाब
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पार की गई सैन्य कार्रवाई का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, "भारत की कार्रवाई से पाकिस्तानी सेना बौखला गई. जब उन्होंने बिना सोचे-समझे कदम उठाया, तो हमारी सेना ने उन्हें करारा जवाब दिया और धूल चटा दी." उन्होंने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर की गई सटीक कार्रवाई की सराहना की. उन्होंने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं है, यह हमारी भारतीय मूल्यों और भावनाओं की अभिव्यक्ति है. आतंक फैलाने वालों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि मोदी का सामना करना कितना मुश्किल है."
जानें 26 मई का विशेष महत्व?
अपने संबोधन की शुरुआत में, पीएम मोदी ने 26 मई को अपनी राजनीतिक यात्रा में महत्वपूर्ण दिन बताया. उन्होंने कहा, "आज 26 मई है. 2014 में इसी दिन मैंने पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. जहां पहले गुजरात की जनता ने मुझे आशीर्वाद दिया, फिर करोड़ों भारतीयों ने मुझे यह जिम्मेदारी सौंपी." ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे. नई दिल्ली ने 10 मई को इस्लामाबाद के साथ युद्धविराम समझौता किया.