पैरोल पर फरार, आजीवन कारावास की सजा काट रहा कुख्यात हत्यारा यूपी के बरेली से गिरफ्तार, पुलिस को 15 साल से थी तलाश

2007 में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, 2010 में एक महीने की पैरोल पर रिहा होने के बाद वह फरार हो गया.  पैरोल के बाद वापस नहीं लौटा और फर्जी पहचान बनाकर छिपता रहा.

Sagar Bhardwaj

दिल्ली पुलिस ने रविवार को एक कुख्यात उम्रकैद अपराधी और पैरोल से फरार धीरेंद्र सिंह तोमर (45) को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की. यह अपराधी 15 वर्षों से पुलिस की पकड़ से बाहर था और उत्तर प्रदेश के बरेली में फर्जी नाम "रंजन सिंह" के तहत एक रिश्तेदार के घर ड्राइवर के रूप में काम कर रहा था.

2001 के हत्या और लूट के मामले में सजा
पुलिस के अनुसार, तोमर को 2001 में एक लूट-सह-हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था, जिसमें दो टैक्सी चालकों पर हमला किया गया और एक की हत्या हो गई थी. 2007 में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, 2010 में एक महीने की पैरोल पर रिहा होने के बाद वह फरार हो गया. पुलिस ने बताया, "वह पैरोल के बाद वापस नहीं लौटा और फर्जी पहचान बनाकर छिपता रहा,"

और अपराधों का खुलासा
लंबी पूछताछ के दौरान तोमर ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा, हल्द्वानी और लोहाघाट में अपनी गैंग के साथ तीन अन्य हत्या और लूट के मामलों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की. पुलिस ने बताया, "उनका तरीका था कि वे टैक्सी किराए पर लेते थे, चालकों की हत्या करते थे और वाहनों को नेपाल में बेच देते थे." इस जघन्य अपराध शृंखला ने जांच को और गंभीर बना दिया.

गुप्त सूचना मिलने पर पुलिस ने बिछाया जाल
पुलिस को गुप्त सूचना मिलने के बाद जेल रिकॉर्ड, ज़मानत देने वालों और पुराने पतों की गहन जांच की गई. इसके आधार पर एक पुलिस टीम ने बरेली के एकता नगर में तोमर के ठिकाने का पता लगाया और उसे उसके आवास से गिरफ्तार किया. उसके दो साथी, अजय और धीरज, अभी भी फरार हैं और उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया है.