ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के 5 टॉप आतंकी अल्लाह को प्यारे, पहलगाम के साथ कंधार का भी किया हिसाब चुकता

ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकी संगठनों की कमर तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारतीय सेना ने सटीकता के साथ नौ ठिकानों को निशाना बनाया, जिससे आतंकी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा. यह कार्रवाई भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक है.

Imran Khan claims
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भारत ने बीते 7 मई 2025 को पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिन्हें 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया. बता दें कि, यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में थी, जिसमें 26 लोग मारे गए थे. जिसमें भारतीय सेना ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया. सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन में पांच प्रमुख आतंकी मारे गए. नीचे इनके विवरण दिए गए हैं.

मुदस्सर खादियान खास: लश्कर-ए-तैयबा का कुख्यात आतंकी

न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, मुदस्सर खादियान खास, जिसे अबू जुनदल के नाम से भी जाना जाता था, लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था. उसकी अंत्येष्टि एक सरकारी स्कूल में हुई, जहां जमात-उद-दावा के हाफिज अब्दुल रऊफ, जो एक वैश्विक आतंकी के रूप में नामित है, उसने नमाज-ए-जनाजा पढ़ाई की. इस समारोह में पाकिस्तानी सेना के एक सेवारत लेफ्टिनेंट जनरल और पंजाब पुलिस के आईजी भी मौजूद थे.

हाफिज मुहम्मद जमील: जैश-ए-मोहम्मद का अहम चेहरा

इस कड़ी में दूसरा नाम हाफिज मुहम्मद जमील जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ था और मौलाना मसूद अजहर का सबसे बड़ा बहनोई था. ऐसे में वह संगठन के भीतर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था और आतंकी गतिविधियों में सक्रिय था.

मोहम्मद यूसुफ अजहर: IC-814 अपहरण का वांछित अपराधी

वहीं, तीसरा नाम है मोहम्मद यूसुफ अजहर, जिसे उस्ताद जी, मोहम्मद सलीम और घोसी साहब के नाम से भी जाना जाता था, जोकि, जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा था. वह मौलाना मसूद अजहर का बहनोई था और 1999 के IC-814 विमान अपहरण मामले में वांटेड चल रहा था. उसकी मौत को भारत के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है.

खालिद: हथियार तस्करी का मास्टरमाइंड

इन सबके अलावा चौथा नाम हैं खालिद, जिसे अबू अकाशा के नाम से जाना जाता था, जोकि, लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य था. वह जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों में शामिल था और अफगानिस्तान से हथियारों की तस्करी में लिप्त था. उसकी अंत्येष्टि फैसलाबाद में हुई, जिसमें पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी और फैसलाबाद के डिप्टी कमिश्नर शामिल हुए थे.

मोहम्मद हसन खान: जैश का रणनीतिकार

भारतीय हमले में आखिर जो नाम शामिल हुआ है. उसमे मोहम्मद हसन खान जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ था और पीओके में संगठन के ऑपरेशनल कमांडर मुफ्ती असगर खान कश्मीरी का बेटा था. वह जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था.

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