मैं ठीक नहीं हूं, मैं जल रही हूं, कोई तो मदद करो... नैनीताल के धधक रहे जंगलों की आपबीती

Nainital Forest Fire Latest Updates: नैनीताल के जंगलों में लगी आग पर दो दिनों बाद भी काबू नहीं पाया जा सका है. इंडियन एयरफोर्स के बाद अब NDRF की टीम को राहत बचाव कार्यों में लगाया गया है. सवाल ये कि आखिर कब तक नैनीताल के जंगलों में धधक रही आग पर काबू पाया जा सकेगा? ये सवाल न सिर्फ आपका और हमारा है, बल्कि ये सवाल नैनीताल के जंगल भी पूछ रहे होंगे. आइए, समझते हैं कि आग लगने के बाद नैनीताल के जंगलों की क्या आपबीती होगी.

Om Pratap
LIVETV

Nainital Forest Fire Latest Updates: मैं नैनीताल की जगंल हूं, शनिवार से ही मैं धधक रही हूं. मैं इस वक्त बेसहाय दर्द और पीड़ा से गुजर रही हूं. मुझे आग ने कई जख्म भी दिए हैं. इन जख्मों पर मरहम लगाने की भारतीय सेना ने काफी कोशिश की, लेकिन मुझे फिलहाल राहत नहीं मिली है. अब तक NDRF को भी उतार दिया गया है, लेकिन मैं आप लोगों से पूछना चाहती हूं कि आखिर कब तक मुझे इस भयानक पीड़ा से बाहर निकाला जाएगा. हां, एक सवाल ये भी कि आखिर मेरा कसूर क्या था? मेरी इस हालत के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है? क्यों कोई इसकी जिम्मेदारी लेगा या मुझे इसी तरह अगली बार भी इस दर्द और पीड़ा से गुजरना होगा?

हालांकि, ऊपर के सवाल बेशक हमने लिखे हैं, लेकिन अगर नैनीताल के जंगलों की आवाज होती, तो ये सवाल अब तक कई बार पूछे जा चुके होते, शायद जिनका जवाब किसी के पास नहीं होता. शायद आप और हम समझ नहीं सकते कि नैनीताल के जंगल आखिर किस हद के दर्ज से गुजर रहे होंगे. किसी की एक गलती से न सिर्फ जंगल को नुकसान पहुंचा है, बल्कि वहां रहने वाले सैंकड़ों जानवर भी इस आग के शिकार हुए हैं, प्रभावित हुए हैं. उनका भी दुख-दर्द कुछ ऐसा ही होगा. न जाने कितने जीव तो इस आग की धधक में काल के गाल में समा भी गए होंगे. शायद कभी इसका सटीक आंकड़ा भी न मिल पाए, क्योंकि आग इतनी भीषण है कि जो जीव इसके शिकार हुए होंगे, वे इस आग में स्वाहा हो चुके होंगे... आइए, विस्तार से जानते हैं आग से नुकसान की कहानी, जंगलों की जुबानी...

शुक्रवार से लेकर शनिवार तक... यानी 24 घंटे में एक-एक कर मुझे दर्द देने वाली कुल 31 घटनाएं सामने आईं. 26 तो सिर्फ कुमाऊं मंडल की हैं. आप उत्तराखंड सरकार के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो आप न सिर्फ मेरी हकीकत को जान पाएंगे, बल्कि मेरे दर्द से भी रूबरू हो पाएंगे. सरकार के आंकड़े भी गवाही दे रहे हैं कि पिछले 6 महीनों में पूरे देवभूमि में फैले मेरे परिवार को 598 बार आग का दर्द झेलना पड़ा. ऐसा नहीं है कि मैं सिर्फ अपने स्वार्थ की ही बात कर रही हूं, आपको यानी इंसानों को भी इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है. न तो वे ठीक से सांस ले पा रहे हैं, न उनका रोजगार चल पा रहा है. तकलीफ तो उन्हें भी है. 

मेरे साथ जो नाइंसाफी हुई, उसमें मेरे आसपास रहने वाले इंसानों पर भी असर पड़ा है. वे भी आग की धधक से 'झुलसे' हैं. दर्जनों परिवार ऐसे हैं जिनका रोजगार (पैराग्लाइडिंग, कायकिंग, जॉरबिंग) पिछले तीन दिनों से बंद है. हालांकि मैं इन सबके जल्द ठीक होने की उम्मीद कर रही हूं. मुझे दिख भी रहा है कि सेना के हेलिकॉप्टर लगातार भीमताल झील में पानी भरकर ला रहे हैं और मेरे जख्मों को ठंडा करने की कोशिश कर रहे हैं.  

मुझसे किसी को क्या दुश्मनी...?

आखिर भला मुझसे किसी की क्या ही दुश्मनी हो सकती है, मैं तो शांत स्वभाव से इंसानों को सांस लेने में मदद करती हूं, लेकिन पता नहीं किसने मेरे हरे-भरे जीवन को आग की लाल लपटों में झोंक दिया. अब तो हालत ये है कि एयरफोर्स स्टेशन लड़ियाकांटा की पहाड़ी से लेकर सातताल, गेठिया सेनिटोरियम के आसपास, पटवाडांगर, ज्योलीकोट जैसी मेरी कई अन्य घरों को तबाह कर दिया गया है और इस तबाही का मुझ पर जो असर है, वो आप देख ही रहे हैं. खैर, जो भी तस्वीरें आप देख रहे हैं, उम्मीद है कि आप लोग इससे सबक लेंगे, अगर ऐसा हुआ तो बहुत अच्छा... सबक नहीं लिया तो जो तस्वीरें आप देख रहे हैं, शायद उन तस्वीरों में पीड़ित बनने के लिए मैं ही न रहूं.

जंगलों के जख्मों पर कब तक लगेगा मरहम?

नैनीताल के जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए इंडियन एयरफोर्स लगातार बांबी बकेट का यूज कर रही है. सेना के हेलिकॉप्टर बांबी बकेट्स से भीमताल से पानी लेकर जल रहे जंगलों में गिरा रहीं हैं, ताकि आग पर काबू पाया जा सके. अब  उत्तराखंड सरकार ने नैनीताल शहर की ओर बढ़ रही जंगल की आग को बुझाने के लिए एनडीआरएफ की मदद ली है. जंगल की आग के राज्य नोडल अधिकारी निशांत वर्मा के मुताबिक, पौड़ी गढ़वाल और बागेश्वर में ख्रीसु के आरक्षित वन क्षेत्र में आग जलाने का प्रयास करने वाले 8 लोगों को पकड़ा गया है. उन पर भारतीय वन अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं और उन्हें अदालत में पेश किया जा रहा है.