खुफिया अलर्ट के बावजूद पहलगाम में हुई चूक, क्या चेतावनी को किया नजरअंदाज?
श्रीनगर और उसके आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जिसमें पर्यटकों के बीच लोकप्रिय कई होटल और दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान जैसे पर्यटक आकर्षण के केंद्र शामिल हैं.
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया, जिसमें 26 लोग मारे गए, जिनमें 25 पर्यटक थे. बता दें कि, यह हमला खुफिया ब्यूरो (आईबी) और अन्य एजेंसियों की चेतावनी के बावजूद हुआ, जिसमें पर्यटकों को निशाना बनाने की आशंका जताई गई थीय यह चेतावनी प्रधानमंत्री की 19 अप्रैल को प्रस्तावित श्रीनगर यात्रा के समय दी गई थी, लेकिन मौसम खराब होने के कारण उनकी यात्रा रद्द हो गई.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, खुफिया सूत्रों ने श्रीनगर और आसपास के पर्यटक स्थलों पर हमले की आशंका जताई थी. इसके जवाब में श्रीनगर में सुरक्षा बढ़ा दी गई, जिसमें पर्यटकों के बीच लोकप्रिय होटलों और दाचीगाम नेशनल पार्क जैसे स्थानों पर विशेष निगरानी शामिल थी. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "दस में से नौ बार ऐसी चेतावनियां बेकार जाती हैं, लेकिन इस बार यह पर्यटकों पर हमले के बारे में सही साबित हुई. सबसे मुश्किल हिस्सा, यानी सूचना का विश्लेषण, गलत हो गया और स्थान का अनुमान गलत निकला.
खुफिया चेतावनी और सुरक्षा उपाय
हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से चार दिन पहले, मौसम विभाग की 18-19 अप्रैल को खराब मौसम की चेतावनी के बाद, पीएमओ ने यात्रा रद्द कर दी. रद्दीकरण के बाद भी सुरक्षा बलों ने सतर्कता बनाए रखी. इस बीच जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी नलिन प्रभात चार दिनों तक श्रीनगर में रहे और सभी क्षेत्रों पर नजर रखी. लेकिन 22 अप्रैल को जब आतंकी हमला हुआ, प्रभात जम्मू पहुंचे ही थे और उन्हें तुरंत वापस लौटना पड़ा.
पहलगाम में आतंकी हमले की हुई अनदेखी
खुफिया सूचनाओं में पहलगाम का विशेष जिक्र नहीं था. अधिकारियों ने बताया कि पीएम की यात्रा रद्द होने के बाद आतंकी छिपे रहे और अगले मौके की तलाश में थे.16 अप्रैल को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वांस की यात्रा की पुष्टि हुई, जिसके बाद आतंकियों ने मौका तलाशा.हमला बैसारन घास के मैदान में हुआ, जो पूरे साल खुला रहता है. एक अधिकारी ने कहा, "दो स्थानीय आतंकियों ने पर्यटकों को एक तरफ इकट्ठा किया. गोलीबारी दो विदेशी आतंकियों ने की. जहां एकमात्र प्रवेश और निकास द्वार होने के कारण पर्यटकों के लिए भागना मुश्किल था.
स्थानीय खुफिया तंत्र की नाकामी
अधिकारियों ने स्वीकार किया कि सबसे बड़ी चूक स्थानीय खुफिया तंत्र की थी. आतंकी क्षेत्र में रह रहे थे और अभी भी वहां मौजूद हो सकते हैं. इस हमले ने सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत को उजागर किया है.