हर कर्मचारी को पता होना चाहिए नये लेबर कोड में हुए ये बड़े बदलाव, यहां सरल भाषा में समझें नए नियम

भारत के नए लेबर कोड लागू हो चुके हैं, जिनसे वेतन, छुट्टियां, ग्रेच्युटी, ओवरटाइम, सुरक्षा और नियुक्ति से जुड़े नियम बदल गए हैं. यह बदलाव लगभग हर सेक्टर के कर्मचारियों को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेंगे.

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Kuldeep Sharma

नई दिल्ली: भारत की श्रम प्रणाली में बड़ा बदलाव लाते हुए नए लेबर कोड लागू हो गए हैं. इन कोड्स ने पुरानी बिखरी हुई श्रम व्यवस्थाओं को हटाकर स्पष्ट नियमों का ढांचा तैयार किया है. 

नए प्रावधान वेतन, छुट्टियां, नियुक्ति पत्र, सामाजिक सुरक्षा, ओवरटाइम, न्यूनतम मजदूरी और कार्यस्थल सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों को सीधे प्रभावित करते हैं. इनका असर न केवल नियमित कर्मचारियों पर, बल्कि फिक्स्ड-टर्म, कॉन्ट्रैक्ट, मीडिया, फैक्टरी और डिजिटल क्षेत्रों में काम करने वाले लाखों लोगों पर भी पड़ेगा.

फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को सिर्फ एक साल में ग्रेच्युटी

सरकार ने ग्रेच्युटी के नियमों को सरल और एक समान कर दिया है. अब कॉन्ट्रैक्ट या फिक्स्ड-टर्म पर काम करने वाले कर्मचारी सिर्फ एक साल की सेवा के बाद ग्रेच्युटी पाने के पात्र बन जाएंगे, जबकि पहले इसके लिए पांच साल की निरंतर सेवा जरूरी थी. आईटी, मीडिया, सर्विस, मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स जैसी इंडस्ट्री में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों को इससे औपचारिक सुरक्षा मिलेगी और छोटे कॉन्ट्रैक्ट वाले कर्मचारियों को भी बुनियादी लाभ सुनिश्चित होंगे.

पेड लीव पाने के लिए अब 180 दिन काम काफी

नए नियमों के तहत कर्मचारियों को सालाना पेड लीव का हक पाने के लिए पहले की तरह 240 दिन नहीं, बल्कि 180 दिन काम करना होगा. मौसमी उद्योगों, अनियमित शिफ्ट वाले काम और पार्ट-टाइम जैसी भूमिकाओं में यह बड़ा राहत भरा बदलाव है. पहले लंबे मानदंड पूरे न कर पाने के कारण कई कर्मचारी छुट्टियों के अधिकार से वंचित रह जाते थे. यह संशोधन व्यक्तिगत और पारिवारिक जरूरतों के लिए समय निकालना आसान बनाता है.

ओवरटाइम दोगुने भुगतान के साथ

नए कोड में आठ घंटे की कार्य अवधि और 48 घंटे का साप्ताहिक नियम बरकरार है, लेकिन राज्यों को यह तय करने की छूट मिलेगी कि कंपनियां चार लंबे, पांच मध्यम या छह सामान्य कार्यदिवस रखना चाहें. ओवरटाइम अब केवल स्वैच्छिक होगा और इसे सामान्य वेतन की दोगुनी दर पर देना अनिवार्य है. राज्यों को ओवरटाइम की सीमा बढ़ाने की अनुमति भी मिली है, जिससे काम का ढांचा अधिक लचीला और सुरक्षित बनेगा.

अब सभी कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र अनिवार्य

किसी भी क्षेत्र के कर्मचारी को अब अनिवार्य रूप से नियुक्ति पत्र मिलेगा, जिसमें वेतन, काम की शर्तें, समय और अधिकार स्पष्ट होंगे. इससे नौकरी की पारदर्शिता बढ़ेगी. इसके साथ ही न्यूनतम मजदूरी अब सभी सेक्टरों पर लागू होगी और केंद्र द्वारा तय फ्लोर वेज से कोई भी राज्य कम वेतन नहीं रख सकेगा. यह उन कर्मचारियों के लिए बड़ी सुरक्षा है जो असंगठित क्षेत्रों में न्यूनतम वेतन से वंचित रहते थे.

आवागमन दुर्घटनाओं को कार्यस्थल घटना माना जाएगा

घर से कार्यस्थल के सफर के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को भी अब काम से संबंधित माना जाएगा, बशर्ते वे निर्धारित शर्तों के तहत हों. इससे कर्मचारियों को मुआवजा और बीमा लाभ पाना आसान होगा. वहीं, ईएसआई कवरेज अब किसी विशेष अधिसूचित क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा. फैक्ट्रियों, दुकानों, प्लांटेशन और यहां तक कि जोखिम वाले एक-व्यक्ति यूनिटों में भी कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा और मातृत्व लाभ जैसे अधिकार मिल सकेंगे.

मीडिया और डिजिटल वर्कर्स के लिए औपचारिक सुरक्षा

पत्रकारों, OTT वर्कर्स, डिजिटल क्रिएटर्स, डबिंग कलाकारों और तकनीकी क्रू को अब औपचारिक नियुक्ति पत्र और स्पष्ट कार्यशर्तें मिलेंगी. इससे रचनात्मक क्षेत्रों में लंबे समय से चली आ रही अनिश्चितता कम होगी. वहीं, नई वेतन परिभाषा के कारण टेक-होम सैलरी कुछ मामलों में घट सकती है, क्योंकि पीएफ और ग्रेच्युटी जैसी कटौतियां बढ़ेंगी. हालांकि यह परिवर्तन कर्मचारियों की दीर्घकालिक सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करेगा.