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भारत हिंदू राष्ट्र, यही हकीकत है', RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, कहा- संविधान की मंजूरी जरूरी नहीं

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत स्वाभाविक रूप से हिंदू राष्ट्र है और इसके लिए किसी संवैधानिक मंजूरी की जरूरत नहीं. उन्होंने आरएसएस को मुस्लिम विरोधी बताने के आरोप खारिज करते हुए इसे सांस्कृतिक सच्चाई बताया

Kanhaiya Kumar Jha
RSS Chief Mohan Bhagwat India Daily
Courtesy: X

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि भारत स्वाभाविक रूप से एक हिंदू राष्ट्र है और यह एक स्थापित सत्य है. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस वास्तविकता को स्वीकार करने के लिए किसी संवैधानिक संशोधन या औपचारिक मंजूरी की आवश्यकता नहीं है. कोलकाता में आयोजित आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर ‘100 व्याख्यान माला’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बातें कहीं.

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे सूर्य का पूर्व से उगना एक स्वाभाविक तथ्य है और इसके लिए किसी संवैधानिक स्वीकृति की जरूरत नहीं होती, उसी तरह भारत का हिंदू राष्ट्र होना भी एक सच्चाई है. उन्होंने कहा कि जब तक भारतीय संस्कृति का सम्मान किया जाता रहेगा, तब तक भारत हिंदू राष्ट्र बना रहेगा. संसद चाहे संविधान में ‘हिंदू राष्ट्र’ शब्द जोड़े या न जोड़े, इससे इस सच्चाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

भारतीय संस्कृति से जुड़ाव ही पहचान

भागवत ने कहा कि हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है और जो भी व्यक्ति भारत को अपनी मातृभूमि मानता है तथा भारतीय संस्कृति की कद्र करता है, वह इस राष्ट्र का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि जब तक इस देश की धरती पर ऐसा एक भी व्यक्ति मौजूद है जो अपने भारतीय पूर्वजों की परंपराओं और मूल्यों में विश्वास रखता है, तब तक भारत हिंदू राष्ट्र रहेगा. यही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मूल विचारधारा है.

संविधान में शब्द जोड़ने से नहीं बदलती हकीकत

संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि अगर संसद भविष्य में संविधान में संशोधन कर ‘हिंदू राष्ट्र’ शब्द जोड़ भी दे या न जोड़े, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. उनके अनुसार संघ किसी शब्द को लेकर नहीं, बल्कि सांस्कृतिक सच्चाई को लेकर आश्वस्त है. उन्होंने दोहराया कि जन्म के आधार पर बनी जाति व्यवस्था हिंदुत्व की पहचान नहीं है और हिंदू समाज इससे कहीं व्यापक अवधारणा है.

आरएसएस पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोप खारिज

मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस को लेकर मुस्लिम विरोधी होने की धारणा गलत है. उन्होंने बताया कि संघ हमेशा से यह मानता आया है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है, क्योंकि यहां की संस्कृति और बहुसंख्यक आबादी का हिंदू परंपराओं से गहरा संबंध है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द मूल रूप से संविधान की प्रस्तावना का हिस्सा नहीं था और इसे 1976 में आपातकाल के दौरान 42वें संविधान संशोधन के जरिए जोड़ा गया था.

संघ को समझने की अपील

संघ प्रमुख ने लोगों से आरएसएस के कार्यालयों और शाखाओं में जाकर उसके कार्यों को समझने की अपील की. उन्होंने कहा कि आज लोग यह समझने लगे हैं कि संघ हिंदुओं की सुरक्षा और राष्ट्रहित की बात करता है. यह संगठन राष्ट्रवादी है, लेकिन किसी भी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं है. भागवत के अनुसार आरएसएस का उद्देश्य समाज को जोड़ना और भारतीय संस्कृति को मजबूत करना है.