पहले बिजली बिल, अब इनकम टैक्स देंगे मुख्यमंत्री, आखिर किस ओर जा रही BJP की राजनीति?

MP Cabinet Big decision on Ministers: लोकतंत्र की सबसे खूबसूरत बात होती है कि वो समय के साथ खुद में बदलाव करता रहता है और एक अच्छे लोकतंत्र की निशानी यही है कि उसमें न सिर्फ जनता बल्कि जनता के प्रतिनिधियों की भागीदारी बराबर होती है. इसी फेहरिस्त में मंगलवार को मध्य प्रदेश कैबिनेट ने बड़ा फैसला लेते हुए राज्य के मंत्रियों और सीएम को खुद अपना टैक्स भरने का नियम बनाया है. पहले यह टैक्स राज्य सरकार देती थी.

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MP Cabinet Big decision on Ministers: मध्यप्रदेश में मोहन यादव सरकार के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने मंगलवार को बड़ा फैसला लेते हुए ऐलान किया है कि अब राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्री खुद अपना इनकम टैक्स भरेंगे. मध्य-प्रदेश में 1972 से लेकर अब तक यह नियम था कि राज्य के सभी मंत्री और मुख्यमंत्री का टैक्स राज्य सरकार के राजस्व से दिया जाता था.

52 साल पुराने नियम को मध्य-प्रदेश कैबिनेट ने किया खत्म

मध्यप्रदेश सरकार के इस फैसले से राज्य सरकार पर पड़ने वाला वित्तीय बोझ कम हो जाएगा. मंगलवार (25 जून) को सीएम मोहन यादव के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने सभी मंत्रियों की सहमति के साथ ही 52 साल पुराने नियम को खत्म कर दिया है जिसमें मंत्रियों की इनकम टैक्स सरकार सरकार की तरफ से भरी जाती थी.

कैबिनेट मीटिंग में हुए इस फैसले के बाद मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव ने कहा,'आज कैबिनेट ने कई ऐसे फैसले लिए हैं जो न सिर्फ ऐतिहासिक हैं बल्कि लंबे समय तक प्रभावित करेगा. सभी मंत्री अपना इनकम टैक्स खुद देंगे जिसे पहले राज्य सरकार अदा करती थी. अब से राज्य सरकार ये आर्थिक बोझ नहीं उठाएगी.'

सर्वसम्मति से लिया इनकम टैक्स देने का फैसला

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आगे साफ किया कि कैबिनेट ने सभी मंत्रियों को अपनी सैलरी और भत्तों पर लगने वाले इनकम टैक्स को खुद देने का फैसला सर्वसम्मति से लिया है. वहीं प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि मीटिंग के दौरान इस नियम को बदलने का सुझाव खुद सीएम मोहन यादव ने दिया जिसे सभी ने खुशी-खुशी स्वीकार किया.

मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 से 2024 के बीच राज्य सरकार ने मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष समेत 35 जनप्रतिनिधियों के लिए 75 लाख रु का इनकम टैक्स अदा किया था. वहीं पिछले 5 साल में मंत्रियों के इनकम टैक्स पर करीब 3.5 करोड़ रुपए राज्य सरकार ने खर्च किए थे.

शहीद परिवार की सहायता राशि का भी बदला फॉर्मूला

गौरतलब है कि मोहन यादव के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश सरकार ने इसके अलावा भी कुछ बड़े फैसले किए जिसमें प्रदेश के किसी जवान के शहीद हो जाने पर परिजनों को मिलने वाली सहायता राशि को नए फॉर्मूले के तहत देना भी शामिल था. नए फॉर्मूले के अनुसार अगर कोई जवान शहीद होता है तो सहायता राशि का 50 फीसदी हिस्सा पत्नी और 50 फीसदी हिस्सा शहीद के माता-पिता को दिया जाएगा.

आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी शासित इस प्रदेश से पहले उत्तर-प्रदेश ने भी 13 सितंबर 2019 को ये नियम पास कर दिया था और 1981 से चले आ रहे इस नियम को खत्म कर दिया था.