एयर इंडिया क्रैश, कॉकपिट में आखिरी 32 सेकंड की बातचीत, एक अनसुलझा रहस्य?
एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, विमान के उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद, दोनों इंजनों के ईंधन नियंत्रण स्विच (फ्यूल कंट्रोल स्विच) एक के बाद एक, एक सेकंड के अंतराल में, 'रन' से 'कटऑफ' स्थिति में चले गए.

12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन गैटविक के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया फ्लाइट 171 के साथ हुए भयानक हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान, जो उड़ान भरने के महज 30 सेकंड बाद ही बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, इस हादसे में 241 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से केवल एक यात्री जीवित बचा. इसके अलावा, जमीन पर 19 लोगों की जान चली गई. विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) की प्रारंभिक रिपोर्ट ने इस हादसे के पीछे के कारणों को समझने की दिशा में महत्वपूर्ण जानकारी दी है, लेकिन कई राज अभी भी अनसुलझा हुआ है.
एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, विमान के उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद, दोनों इंजनों के ईंधन नियंत्रण स्विच (फ्यूल कंट्रोल स्विच) एक के बाद एक, एक सेकंड के अंतराल में, 'रन' से 'कटऑफ' स्थिति में चले गए. यह एक ऐसी क्रिया थी, जो सामान्य रूप से केवल लैंडिंग के बाद या आपातकालीन स्थिति, जैसे इंजन में आग लगने पर की जाती है. कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में दर्ज बातचीत के अनुसार, एक पायलट ने दूसरे से पूछा, "तुमने कटऑफ क्यों किया?" जिसके जवाब में दूसरा पायलट बोला, "मैंने ऐसा नहीं किया." यह संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण बातचीत जांच के केंद्र में है, क्योंकि यह इस दुर्घटना के कारण को समझने की कुंजी हो सकती है.
रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यह बातचीत कप्तान सुमीत सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर के बीच किसने क्या कहा. दोनों पायलट अनुभवी थे कप्तान सभरवाल के पास 15,638 उड़ान घंटों का अनुभव था, जिसमें 8,596 घंटे बोइंग 787 पर थे, जबकि फर्स्ट ऑफिसर कुंदर के पास 3,403 उड़ान घंटे थे, जिनमें 1,128 घंटे इस विमान पर. दोनों ने प्री-फ्लाइट ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट पास किया था और पर्याप्त आराम के बाद ड्यूटी पर थे.
क्या थी हादसे की वजह?
जांचकर्ता इस बात की तह तक जाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या यह हादसा मानवीय भूल, यांत्रिक खराबी, या आपातकालीन प्रक्रिया में हुई गलती का परिणाम था. प्रारंभिक जांच ने कई संभावित कारणों को खारिज कर दिया है, जैसे कि खराब मौसम, पक्षी से टकराव, विमान का गलत कॉन्फिगरेशन, या ईंधन की गुणवत्ता में कमी. इसके अलावा, बोइंग 787 और इसके जीई जेनएक्स-1बी इंजनों में कोई यांत्रिक खराबी नहीं पाई गई.
रिपोर्ट के अनुसार, ईंधन नियंत्रण स्विच के 'कटऑफ' में चले जाने के 10-14 सेकंड बाद, पायलटों ने स्विच को वापस 'रन' स्थिति में लाने की कोशिश की. इससे इंजनों में स्वचालित रीलाइट प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें एक इंजन में कुछ हद तक शक्ति वापस आई, लेकिन दूसरा इंजन पूरी तरह ठीक नहीं हो सका. इतने कम समय और ऊंचाई पर विमान को बचाना असंभव था.
क्या इलेक्ट्रॉनिक खराबी थी जिम्मेदार?
पूर्व जांचकर्ता और विशेषज्ञों ने एक संभावना की ओर इशारा किया है कि विमान के इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट में खराबी के कारण स्विच अपने आप 'कटऑफ' स्थिति में चले गए हों. 2018 में अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने बोइंग 737 के लिए एक सलाह जारी की थी, जिसमें ईंधन नियंत्रण स्विच के लॉकिंग मैकेनिज्म में खराबी की बात कही गई थी. यह डिज़ाइन बोइंग 787 में भी उपयोग किया जाता है. हालांकि, यह सलाह वैकल्पिक थी और एयर इंडिया ने इसकी अनुशंसित जांच नहीं की थी. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर स्विच इलेक्ट्रॉनिक रूप से ट्रिगर हुए, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है.
जांच में आगे क्या?
एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट ने कई सवाल खड़े किए हैं, लेकिन यह अंतिम निष्कर्ष नहीं है. जांचकर्ता कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर का गहन विश्लेषण कर रहे हैं. इसके अलावा, मलबे और अन्य घटकों की जांच भी जारी है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस हादसे का कारण जानने के लिए महीनों या शायद एक साल से अधिक समय लग सकता है. बोइंग और जीई एयरोस्पेस ने जांच में सहयोग करने की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई सलाह या निर्देश 787 ऑपरेटरों के लिए जारी नहीं किया गया है.