विशेष गहन संशोधन के बाद शुक्रवार को जारी की गई गुजरात की मसौदा मतदान सूची से 73.7 लाख वोटरों को हटा दिया गया है. उनके नामों को हटाने के पीछे विभिन्न कारणों जैसे प्रवास, मृत्यु और डबल नाम का हवाला दिया गया है. गुजरात के मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा दिए गए आंकड़े के अनुसार, 51.86 लाख वोटरों को मसौदा लिस्ट से हटाया गया क्योंकि वे पलायन कर चुके थे या अनुपस्थित पाए थे.
आंकड़ों में यह भी बताया प्रदेश के 4.34 करोड़ वोटरों से जनगणना पत्र इकट्ठा किए गए थे जो प्रदेश के कुल मतदाताओं का 85.50 प्रतिशत है. कार्यालय ने कहा कि मतदाता वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराने के लिए 18 जनवरी तक दावा कर सकते हैं.
As of 19.12.2025, out of 5,08,43,436 electors, 4,34,70,109 electors submitted their Enumeration Forms, reflecting overwhelming participation in the first phase of SIR: Chief Electoral Officer, Gujarat.
— ANI (@ANI) December 19, 2025
Shifted/Absent voters- 51.86 lakhs, enrolled at multiple places- 3.81 lakhs,… pic.twitter.com/uc3myuzq3g
ऑफिस ने कहा, 'वास्तविक मतदाताओं को 19.12.2025 से लेकर 18.01.2026 तक मतदाता सूची में जोड़ा सकता है.' कार्यालय ने कहा कि 5,08,43,436 में से 4,34,70,109 लाख मतदाताओं ने जनगणना प्रपत्र जमा किए जो कि एसआईआर के प्रथम चरण में भारी भागीदारी को दर्शाता है.
મતદારયાદી સઘન સુધારણા કાર્યક્રમ (SIR)–૨૦૨૬
— Collector & DM, Kachchh (@collectorkut) December 19, 2025
મતદારયાદી સઘન સુધારણા કાર્યક્રમ અંતર્ગત જિલ્લાની મુસદ્દા મતદારયાદી–૨૦૨૫ પ્રસિદ્ધ કરવામાં આવી. આ સંદર્ભે પત્રકાર પરિષદ યોજી, પત્રકાર મિત્રોને વિસ્તૃત માહિતી આપવામાં આવી.@CEOGujarat @ECISVEEP pic.twitter.com/nrLsjfeowS
गौरतलब है कि फर्जी वोटरों को को बाहर करने के लिए पूरे केश में विशेष गहन संशोधन (SIR) किया जा रहा है. सर के तहत अपात्र मतदाताओं को मतदाता सूची से बाहर किया जा रहा है. सर की जरूरत पड़ी जब चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता सूची को पुनर्गठित करने की आवश्यकता है क्योंकि इसमें काफी त्रुटियां है.
यह प्रक्रिया 2025 में बिहार से शुरू हुई और बाद में 12 अन्य राज्यों (जैसे पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल आदि) में लागू की गई. इसका उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध और पारदर्शी बनाना है.
विपक्षी दल (मुख्य रूप से कांग्रेस, TMC, DMK, SP और INDIA गठबंधन) SIR का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनका आरोप है कि: यह प्रक्रिया वास्तविक मतदाताओं के नाम काटने (वोट चोरी) का माध्यम बन रही है, खासकर गरीब, प्रवासी मजदूरों और अल्पसंख्यक (मुस्लिम) समुदायों के.
यह नागरिकता जांच जैसी लग रही है, जो CAA-NRC से जुड़ी आशंकाओं को बढ़ा रही है. कई जगहों पर मुस्लिम बहुल इलाकों में ज्यादा नाम हटाए जाने के दावे किए गए हैं. समय सीमा छोटी होने से लाखों वैध मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं, जिससे लोकतंत्र खतरे में है.
राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, ममता बनर्जी आदि नेताओं ने इसे BJP की चुनावी साजिश बताया, जो विपक्षी वोटबैंक को कमजोर करने के लिए है. संसद के शीतकालीन सत्र (दिसंबर 2025) में भी विपक्ष ने इस मुद्दे पर हंगामा किया, प्रदर्शन किए और तत्काल चर्चा की मांग की.