अक्टूबर में महंगाई घटकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंची, लोगों को RBI दे सकता है बड़ी राहत

अक्टूबर में भारत की खुदरा महंगाई दर घटकर 0.25% पर आ गई, जो 2013 के बाद सबसे निचला स्तर है. खाने-पीने की चीजों की कीमतों में गिरावट से राहत मिली है.

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Kuldeep Sharma

भारत की खुदरा महंगाई दर में अक्टूबर महीने में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 0.25% पर आ गई, जो अब तक की सबसे कम दर है. सितंबर में यह दर 1.44% थी. 

इस गिरावट का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई नरमी है. आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुझान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को आगामी मौद्रिक नीति बैठक में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ा सकता है.

खाद्य वस्तुओं में आई व्यापक गिरावट

महंगाई में कमी का सबसे बड़ा कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई गिरावट रही. आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में खाद्य मूल्य सूचकांक -5.02% पर पहुंच गया, जबकि सितंबर में यह -2.3% था. अनाज, दालों और सब्जियों की कीमतों में लगातार नौवें महीने गिरावट दर्ज की गई. केवल खाद्य तेल ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा, जहां दो अंकों की महंगाई देखी गई, जिसमें नारियल तेल की कीमतें लगभग 93% तक बढ़ीं.

कोर महंगाई स्थिर, सोने-चांदी के दाम बढ़े

कोर महंगाई (खाद्य, ईंधन और वाहन डीजल-पेट्रोल को छोड़कर) अक्टूबर में 4.4% पर स्थिर रही. हालांकि, विविध वस्तुओं की श्रेणी, जिसमें सोना और चांदी शामिल हैं, में 31 महीने की ऊंचाई दर्ज की गई. सोने की बढ़ती कीमतों ने त्योहारी सीजन में महंगाई को थोड़ा बढ़ाया. व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में भी 23.9% की वृद्धि देखी गई, जो सितंबर के 19.4% से अधिक है.

RBI का FY26 के लिए नया अनुमान

महंगाई दर में इस तेज गिरावट के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया है. आरबीआई का कहना है कि वैश्विक कमोडिटी कीमतों में नरमी और घरेलू आपूर्ति की स्थिति में सुधार ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद की है. हालांकि, ऊर्जा और खाद्य बाजारों में अनिश्चितता को देखते हुए सतर्क रुख बरकरार रखा गया है.

त्योहारी और GST प्रभाव की निगरानी जरूरी

कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज का कहना है कि भले ही महंगाई का रुझान फिलहाल नरम दिख रहा है, लेकिन आरबीआई को त्योहारी मांग और GST प्रभाव को ध्यान में रखकर मौद्रिक नीति तय करनी होगी. उन्होंने कहा कि हाल की आर्थिक तेजी टिकाऊ नहीं लगती, इसलिए ब्याज दरों में कटौती की संभावना बन सकती है.

अर्थव्यवस्था के लिए राहत का संकेत

अक्टूबर के आंकड़े दर्शाते हैं कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में औसत मुद्रास्फीति दर 2.22% रही है, जो आरबीआई के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4% से काफी नीचे है. यह गिरावट दर्शाती है कि मूल्य स्थिरता के मोर्चे पर अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है और निवेशक विश्वास को बल मिलेगा.