Chhath Puja 2024 Day 3: सूर्य को किस समय दें अर्घ्य? जान ले यहां पूजा विधि और सामग्री की लिस्ट

छठ महापर्व का आगाज हो गया है. आज खरना है. यह त्योहार विशेष रूप से सूर्य देव और छठी मइया को समर्पित होता है. इस पर्व का तीसरा दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है. इस दिन श्रद्धालु शाम के समय अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. ये पहला और इसे संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है.

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Reepu Kumari

Chhath Puja 2024 Day 3: छठ पूजा का त्योहार विशेष रूप से सूर्य देव और छठी मइया को समर्पित होता है.  इस पर्व का तीसरा दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जब श्रद्धालु शाम के समय अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. इसे संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है, जो छठ पूजा का प्रमुख चरण माना जाता है.

इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह सूर्य देव की उपासना का प्रतीक है और उनकी कृपा पाने का माध्यम है. आइए जानते हैं छठ पूजा के तीसरे दिन का अर्घ्य समय, पूजा विधि, और आवश्यक सामग्री की लिस्ट.

अर्घ्य का समय (2024)

चूंकि अर्घ्य का समय हर साल भिन्न होता है, इसलिए सही मुहूर्त का ध्यान रखना जरूरी है. 2024 में, छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने का समय शाम के लगभग 5:20 से 5:45 बजे के बीच होगा.

छठ पूजा की संध्या अर्घ्य विधि

व्रत का पालन: तीसरे दिन व्रती दिन भर निर्जल व्रत का पालन करते हैं. वे पानी की एक भी बूंद नहीं पीते हैं और पूरे दिन भगवान सूर्य और छठी मइया का स्मरण करते हैं.

घाट पर पहुंचना: शाम को, सभी व्रती नदी, तालाब या किसी पवित्र जलाशय के किनारे पहुंचते हैं. वहां पर अर्घ्य देने के लिए व्यवस्था की जाती है.

अर्घ्य देना: व्रती सूर्यास्त के समय सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पानी में खड़े होते हैं. एक बांस की डलिया (सूप) में सभी पूजन सामग्री रखकर सूर्य देव को प्रणाम किया जाता है. अर्घ्य अर्पित करते समय सूर्य की दिशा की ओर मुंह करके पूजा की जाती है.

छठी मइया की आराधना: सूर्य को अर्घ्य देने के बाद, छठी मइया की भी प्रार्थना की जाती है.

भजन-कीर्तन: अर्घ्य के समय भजन-कीर्तन भी किए जाते हैं, जो माहौल को भक्तिमय बना देते हैं और सभी में ऊर्जा का संचार करते हैं

अर्घ्य के लिए आवश्यक सामग्री

छठ पूजा में विशेष रूप से कुछ सामग्री का उपयोग होता है, जो भगवान सूर्य और छठी मइया को अर्पित की जाती हैं. ये सामग्रियां निम्नलिखित हैं;

  • बांस की टोकरी या डलिया: पूजा सामग्री रखने के लिए
  • पान का पत्ता और सुपारी
  • सिंदूर और चूड़ी (महिलाओं के लिए)
  • हल्दी और कच्चा चावल
  • नारियल: जल के साथ अर्पित करने के लिए
  • फल: जैसे केला, नारंगी, सेब, और अन्य मौसमी फल
  • ठेकुआ और खजूर जैसे पारंपरिक प्रसाद
  • गन्ना: जिसे बंडल बनाकर रखा जाता है
  • दीया और धूप (सूर्य को अर्घ्य के समय जलाने के लिए)

छठ पूजा के इस पावन अवसर पर सभी व्रतधारी न केवल भगवान सूर्य की कृपा पाने के लिए बल्कि अपने परिवार और समाज की सुख-समृद्धि के लिए भी प्रार्थना करते हैं। इस पर्व की विशेषता इसकी सादगी और श्रद्धा में छुपी होती है.

नोट: हर साल सूर्य को अर्घ्य देने का समय स्थान और समय क्षेत्र के अनुसार भिन्न हो सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग या विशेषज्ञों से सही जानकारी लेना भी उचित है.