अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ में क्या है अंतर; यहां जानें सबकुछ


Princy Sharma
2025/01/14 11:42:16 IST

महाकुंभ

    महाकुंभ 2025 का शुभारंभ सोमवार, 13 जनवरी को हो चुका है.  यह हिंदू धर्म के सबसे बड़े आयोजनों में से एक है, जिसमें करोड़ों लोग भाग लेते हैं.

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महाकुंभ का महत्व

    ऐसा माना जाता है कि महाकुंभ में पवित्र नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है.

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शाही स्नान की तिथियां

    13 जनवरी 2025, 14 जनवरी 2025, 29 जनवरी 2025, 3 फरवरी 2025, 12 फरवरी 2025, 26 फरवरी 2025 ये 6 शाही स्नान की तिथियां हैं.

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कुंभ मेले के आयोजन स्थल  

    कुंभ मेला केवल चार स्थानों में आयोजित होता है जिसमें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक शामिल हैं. यह स्थल पौराणिक और ज्योतिषीय महत्व रखते हैं.

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पौराणिक कथा

    समुद्र मंथन के दौरान अमृत को लेकर देवताओं और राक्षसों के बीच संघर्ष हुआ. उस दौरान अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं. इसीलिए इन स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है.  

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पूर्ण कुंभ

    यह हर 12 साल में आयोजित होता है. इसका आयोजन प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन या नासिक में होता है. पूर्ण कुंभ का स्थान ज्योतिषीय गणना के आधार पर तय किया जाता है.  

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अर्ध कुंभ

    अर्धकुंभ हर 6 साल में प्रयागराज और हरिद्वार में आयोजित होता है. यह पूर्ण कुंभ का छोटा रूप है और भक्तों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है.

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महाकुंभ

     महाकुंभ हर 144 साल में एक बार आयोजित होता है. इसका आयोजन केवल प्रयागराज में किया जाता है. इसे सभी कुंभ मेलों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है.

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डिस्क्लेमर

    यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.

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