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फटकार का असर; केजरीवाल की गिरफ्तारी मामले में ठंडा पड़ा जर्मनी

Germany on Kejriwal: केजरीवाल की गिरफ्तारी मामले पर बेतुका बयान देने के बाद भारत ने जर्मनी को फटकार लगाई थी. अब जर्मनी के अधिकारियों के सुर बदल गए हैं. जर्मन विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय संविधान मौलिक मानवीय मूल्यों और स्वतंत्रता की गारंटी देता है.

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Germany on Kejriwal: भारत से मिली फटकार के बाद जर्मनी के सुर बदल गए हैं. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर दिए बयान पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई थी. अब जर्मन विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने बुधवार को भारतीय संविधान में विश्वास जताया है. कुछ दिन पहले ही जर्मनी ने केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया था. 

कुछ दिनों बाद जर्मनी सरकार ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि केजरीवाल को निष्पक्ष सुनवाई मिलेगी. जर्मन विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय संविधान मौलिक मानवीय मूल्यों और स्वतंत्रता की गारंटी देता है. मैं इसे अपने दृष्टिकोण से कह सकता हूं क्योंकि मैं खुद भारत में तैनात था. 

उन्होंने कहा कि शनिवार को विदेश मंत्रालय के साथ इस विषय पर चर्चा हुई. मैं एक बार फिर इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि हम भारत और जर्मनी निकट सहयोग और विश्वास के माहौल में एक साथ रहने में बहुत रुचि रखते हैं.

कथित शराब नीति घोटाले मामले में ईडी हिरास में हैं केजरीवाल

केजरीवाल को पिछले सप्ताह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया है जो कथित शराब नीति घोटाले के सिलसिले में मनीष सिसौदिया और संजय सिंह के बाद हिरासत में लिए जाने वाले तीसरे आम आदमी पार्टी (आप) नेता हैं. जर्मन विदेश कार्यालय के प्रवक्ता सेबस्टियन फिशर ने शनिवार को कहा कि उन्होंने गिरफ्तारी पर ध्यान दिया है और उम्मीद करते हैं कि इस मामले में बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों को लागू किया जाएगा.

पहले क्या कहा था

विदेश कार्यालय के प्रवक्ता सेबस्टियन फिशर ने कहा था कि आरोपों का सामना करने वाले किसी भी व्यक्ति की तरह  केजरीवाल निष्पक्ष और निष्पक्ष सुनवाई के हकदार हैं, इसमें बिना किसी प्रतिबंध के सभी उपलब्ध कानूनी रास्ते का उपयोग करना शामिल है. इस पर भारत ने त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस टिप्पणी को "भारत के आंतरिक मामलों में ज़बरदस्त हस्तक्षेप" करार दिया. विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हम ऐसी टिप्पणियों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कम करने के रूप में देखते हैं.