15 लाख से ज्यादा की संपत्ति का नुकसान, 'वेंटिलेटर' पर पर्यटन कारोबार; कब बुझेगी नैनीताल के जंगल की आग?

Nainital Fire Updates: नैनीताल के जंगलों में आग लगने से लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. साथ ही आग पर काबू पाने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन पर भी ऐसे ही खर्च का अनुमान है. फिलहाल, आग से नैनीताल की पर्यटन इंडस्ट्री की हालत काफी खराब हो गई है. स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों के मन में एक ही सवाल है कि आखिर आग पर कब तक काबू पाया जा सकेगा?

India Daily Live
Published :Sunday, 28 April 2024
Updated :28 April 2024, 09:38 AM IST
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Nainital Fire Updates: नैनीताल के जंगलों में आग पर काबू पाने के लिए इंडियन एयरफोर्स को लगाया गया है. वायुसेना के एमआई 17 हेलीकॉप्ट लगातार पानी लाकर आग को बुझाने की कोशिश कर रहे हैं. शनिवार को नैनीताल जिला मुख्यालय के पास जंगल में लगी भीषण आग ने न सिर्फ हाई कोर्ट कॉलोनी के निवासियों को खतरे में डाल दिया, बल्कि शहर की पर्यटन उद्योग को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है. फिलहाल, आग पर काबू पाए जाने के संबंध में ताजा अपडेट देते हुए अधिकारियों ने बताया कि काफी हद तक काबू पा लिया गया है.

उत्तराखंड वन विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले 6 महीनों में राज्य भर में जंगल की आग की कुल 598 घटनाएं सामने आई हैं, जिससे 724.065 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है. आग में कम से कम दो लोग घायल हो गए हैं और अब तक 14.99 लाख रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है. पिछले 24 घंटों में इनमें से कम से कम 23 घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे 34 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं.

पर्यटन इंडस्ट्रीज को लगा तगड़ा झटका

आग पर काबू पाने के लिए सेना के हेलिकॉप्टर नैनीताल के भीमताल झील में पानी भरकर ले जा रहे हैं, जिससे भीमताल का पर्यटन भी प्रभावित हुआ है. यहां बोटिंग बंद कर दी गई है. साथ ही पैराग्लाइडिंग, कायकिंग, जॉरबिंग  पर भी अस्थायी तौर पर रोक लगाई गई है, जिससे रोजाना पर्यटन से जुड़े कारोबारियों को हजारों रुपये का नुकसान हो रहा है. 

नैनीताल के जंगलों में लगी आग की लाल लपटों ने कई हेक्टेयर इलाके को अपनी चपेट में ले लिया है. आग से निकलने वाला धुआं भी आफत बन गया है. जानकारी के मुताबिक, एयरफोर्स स्टेशन लड़ियाकांटा की पहाड़ी के साथ ही सातताल, गेठिया सेनिटोरियम के आसपास, पटवाडांगर, ज्योलीकोट समेत 6 स्थानों पर जंगलों का बड़ा क्षेत्र जल रहा है. शहर के टिफिनटॉप, नयना पीक के अलावा स्नोव्यू, कैमल्स बैक की पहाड़ियां में धुआं ही धुआं नजर आ रहा है.

नैनीताल के अलावा धधक रहे कुमाऊं मंडल के अन्य जंगल

कुमाऊं मंडल में शनिवार तक पिछले 24 घंटे में जंगलों में आग लगने की 26 घटनाएं सामने आईं. पूरे उत्तराखंड की बात की जाए तो कुल 31 जंगलों में बड़ी छोटी आग लगने की खबर है. भूमियाधर, ज्योलिकोट, नारायण नगर, भवाली, रामगढ़ और मुक्तेश्वर इलाके के जंगल आग से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. आग लगने की कुल 31 घटनाओं में अब तक 34 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंचा है. उत्तराखंड में नवंबर-2023 से जंगलों में आग लगने की 575 घटनाएं सामने आई हैं. इन घटनाओं में 690 हेक्टेयर क्षेत्रफल की वनसंपदा को नुकसान पहुंचा है.

आखिर कैसे आग पर काबू पाने में जुटी है इंडियन एयरफोर्स?

नैनीताल के जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए इंडियन एयरफोर्स बांबी बकेट का यूज कर रही है. दरअसल, बांबी बकेट का आकार बाल्टी की तरह होता है. इसे तार के सहारे हेलिकॉप्टर से लटकाया जाता है. सेना के हेलिकॉप्टर इन बांबी बकेट्स के जरिए भीमताल से पानी लेकर आग वाले इलाकों में जा रही हैं और पानी गिराकर आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांबी बकेट में कम सेक म 300 लीटर और अधिक से अधिक 10 हजार लीटर तक पानी भरा जा सकता है. 

जंगल में आग लगने का क्या कारण है?

देश के अलग-अलग राज्यों में मौजूद जंगलों में आग की ज्यादातर घटनाएं नवंबर और जून में दर्ज की जाती है. गर्मी के मौसम में बढ़े तापमान जैसे अन्य कारणों को इसका महत्वपूर्ण कारक माना जाता है. भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार, देश के लगभग 36% जंगलों में अक्सर आग लगने का खतरा रहता है.