WhatsApp Encryption Case: मैसेजिंग सर्विस प्लेटफॉर्म WhatsApp और भारत सरकार के बीच काफी तनातनी चल रही है. कंपनी ने दिल्ली हाई कोर्ट में साफ कर दिया है कि वो मैसेजेज का एनक्रिप्शन नहीं तोड़ेगा. कंपनी यूजर सेफ्टी के साथ कोई भी छेड़खानी नहीं कर सकती है. फेसबुक और WhatsApp ने हाल ही में नए नियमों को चुनौती देते हुए कहा कि वो निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं और असंवैधानिक हैं.
WhatsApp ने जिस तरह से एनक्रिप्शन हटाने से मना कर दिया है सरकार को फ्रंट पर उतरना पड़ा है. सरकार ने 4 ऐसे कारण दिए गए हैं जिसमें उनका कहना है कि WhatsApp को आईटी नियमों का पालन करना होगा. यह बेहद ही जरूरी है.
वो 4 कारण जो WhatsApp को आईटी नियमों को मानने पर कर सकते हैं मजबूर:
केंद्र ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि WhatsApp और Facebook अपने बिजनेस या कमर्शियल काम के लिए यूजर की जानकारी का इस्तेमाल करती हैं. ऐसे में कंपनी को यूजर की प्राइवेसी को प्रोटेक्ट करने का दावा नहीं करना चाहिए, क्योंकि वो ऐसा कर ही नहीं रही है.
मिनिस्ट्री ने दिल्ली हाई कोर्ट को यह भी बताया है कि अगर आईटी नियम 2021 लागू नहीं किया गया, तो लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों को फेक मैसेज कहां से जनरेट हुआ है ये पता लगाने में बहुत ही मुश्किल होगी. अगर इन्हें ढूंढा नहीं जाता है तो इस तरह के फेक मैसेजेज यूजर्स के बीच तेजी से फैलाए जा सकेंगे. इससे समाज में शांति और सद्भाव बिगड़ जाएगा.
WhatsApp और Facebook जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को उस देश के प्रति जवाबदेह होने की जरूरत है जहां वो काम करते हैं. यह बेहद ही जरूरी है. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो यह देश के नियमों का उल्लंघन होगा.
भारत में आईटी नियम ग्लोबल एक्सेप्टेड नॉर्म्स के अनुरूप हैं और WhatsApp को इन्हें मानने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.