कभी हाथ तो कभी कमर, डॉक्टर क्यों बदलते हैं इंजेक्शन देने की जगह?


कभी सोचा है?

    यूं तो आपने कई दफा डॉक्टर से इंजेक्शन लगवाया होगा लेकिन क्या कभी सोचा है कि हर बार वो जगह क्यों बदल देते हैं.

कभी हाथ, कभी हिप

    डॉक्टर कभी हाथ में तो कभी हिप में इंजेक्शन लगवाने के लिए कहते हैं.

इंजेक्शन की जगह

    दरअसल, दवाओं के हिसाब से मरीज के शरीर में इंजेक्शन की जगह तय की जाती है.

इंजेक्शन के टाइप

    आमतौर पर इंजेक्शन 5 तरह के होते हैं और इन सबको अलग-अलग जगह लगाया जाता है.

इंट्रावेनस इंजेक्शन

    इंट्रावेनस इंजेक्शन को हमेशा हाथ/ बाजु में लगाया जाता है, ताकि इंजेक्शन में मौजूद दवा सीधे वेन्स में पहुंचे.

इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन

    इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन मांसपेशियों में लगाया जाता है यानी इसके लिए जांघ और कूल्हे वाला हिस्सा सही रहता है.

स्टेरॉयड्स इंजेक्शन

    एंटीबायोटिक/ स्टेरॉयड्स इंजेक्शन को हमेशा ही कूल्हे में लगाया जाता है. क्योकिं इस इंजेक्शन के लिए ज्यादा मांसपेशियों वाले जगह की जरूरत होती है.

सबक्यूटेनियस इंजेक्शन

    सबक्यूटेनियस इंजेक्शन को हाथ और जांघ के ऊपरी हिस्से में लगाया जाता है. इसके अलावा इसे पेट में भी लगा सकते हैं.

इंट्राडर्मल इंजेक्शन

    सबक्यूटेनियस इंजेक्शन मरीज को इंसुलिन देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, इंट्राडर्मल इंजेक्शन कलाई के पास वाले नस में लगाया जाता है.

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