ठेकुआ के बिना अधूरी है छठ पूजा, जानें क्या है संबंध?
हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है.
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इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है और चौथे दिन सूर्य को जल देकर छठ पूजा का समापन होता है.
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छठ पर्व पर व्रती सूर्य देव से अपनी संतान और परिवार के सुख शांति के लिए कामना करती हैं.
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छठ के इस पावन पर्व के दौरान कई तरह पकवान बनाए जाते हैं. लेकिन इसमें ठेकुआ सबसे अधिक पसंद किया जाता है.
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ठेकुआ को छठी मैया और सूर्य देवता को चढ़ाया जाता है. इसे गेहूं के आटे, गुड़ और सूजी से बनाया जाता है.
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ठेकुआ के बिना छठ महापर्व को अधूरा माना जाता है. आईए जानते हैं कि छठ, सूर्य और ठेकुआ का क्या संबंध है?
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बता दें कि छठ पूजा का यह विशेष प्रसाद कई नियमों के साथ बनाया जाता है.
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आकर और रंग में सूर्य जैसा दिखने के कारण ठेकुआ को सूर्य का प्रतीक भी माना जाता है.
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ठेकुआ बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है.
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