अप्रैल में पकने वाला काफल जनवरी में पका, जानें क्यों है खतरनाक?


Babli Rautela
2025/02/02 13:22:35 IST

काफल पाको चैत

    काफल पाको चैत मेरी छैला.. गाना उत्तराखंड का सबसे पॉपुलर गानों में से एक है.

Credit: Social Media

अप्रैल में पकते हैं काफल

    इस गाने से साफ जाहिर है कि काफल चैत के मौसम यानि अप्रैल के महीने में पकते हैं.

Credit: Social Media

जनवरी महीने में पक गए

    ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गंगोलीहाट में जनवरी महीने में ही काफल पक गए हैं. जिसे देख हर कोई हैरान रह गया है.

Credit: Social Media

जनवरी में 18 डिग्री तापमान

    गंगोलीहाट से तीन किमी दूर दशाईथल-आंवलाघाट सड़क पर लोहारकट्टा के जंगल में जनवरी में 18 डिग्री तापमान के बीच पके काफल मौसम में बदलाव का एक बड़ा सबूत है.

Credit: Social Media

जनवरी महीने में पके काफल

    गंगोलीहाट में काफल के पेड़ों में पहले अप्रैल, 2024 में अगस्त और अब इस साल 2025 में जनवरी महीने में पके हैं.

Credit: Social Media

पर्यावरण असंतुलन

    पर्यावरण प्रेमियों की मानें तो आम तौर पर काफल चैत यानि अप्रैल महीने में पकता है. लेकिन समय से पहले फल आना पर्यावरण असंतुलन का प्रतीक है.

Credit: Social Media

साल में दो बार फल

    माल्टा, नींबू, काफल सहित पहाड़ों में ऐसे कई पेड़ हैं जो साल में दो बार भी फल देते हैं. काफल में तीसरी बार फल आना समझ से परे है

Credit: Social Media

कम रसीले होते हैं फल

    पर्यावरण असंतुलन के चलते पेड़ बेमौसमी फल देने लगे हैं. जिसकी वजह से इन फलों में पोषक तत्वों की कमी रहती हैं और बेमौसमी फल कम रसीले होते हैं.

Credit: Social Media
More Stories