पहले बाल्टी में बेचते थे रसगुल्ले... आज 1,300 करोड़ का टर्नओवर
केदारनाथ अग्रवाल का निधन
इन्हीं बीकानेरवाला के फाउंडर और चेयरमैन केदारनाथ अग्रवाल का निधन हो गया है जिसके बाद हर तरफ शोक की लहर है.
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केदारनाथ अग्रवाल
केदारनाथ अग्रवाल साल 1955 में राजस्थान के बीकानेर से बड़े अपने भाई सत्यनारायण अग्रवाल के साथ दिल्ली आए थे.
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धर्मशाला में रहे
शुरुआती समय में इनके पास रहने के लिए घर नहीं था जिसके कारण इन्हें धर्मशाला में रहना पड़ रहा था.
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पुरानी दिल्ली
हालांकि, बाद में इन्होंने पुरानी दिल्ली के पराठे वाली गली में एक दुकान खोल ली और बीकानेर से लोगों को बुला लिया.
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बाल्टी में भरकर रसगुल्ले बेचे
गुजारे के लिए पैसे चाहिए थे जिसके कारण इन्होंने बाल्टी में भरकर बीकानेरी रसगुल्ले और कागज की पुड़िया में बांध-बांधकर बीकानेरी भुजिया बेचनी शुरू कर दी है.
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मूंग दाल का हलवा
दिल्लीवालों को सबसे पहले मूंग दाल का हलवा वो भी देसी घी में बना हुआ इन्होंने ने ही पहले खिलाया था.
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चांदनी चौक में एक दुकान
इसके बाद दोनों भाईयों ने चांदनी चौक में एक दुकान ले ली जिसके बाद इनका काम चल पड़ा.
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रसगुल्लों की राशनिंग
इनके दुकान की बिक्री इतनी बढ़ गई कि इन्हें रसगुल्लों की राशनिंग तय करनी पड़ी थी.
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