सबसे पहले यहां पर हुई थी छठ पूजा
हर मनोकामना होती है पूरी
मान्यता है कि इस व्रत को रखने से धन, वैभव और यश प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
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कर्ण ने की थी सूर्य पूजा
महाभारत काल में सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा की थी. वे घंटों पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते थे.
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पांडवों ने किया था छठ व्रत
महाभारत काल में पांडवों और द्रौपदी ने अपना खोया हुआ मान और सम्मान व राजपाठ को वापस पाने के लिए छठ व्रत किया था.
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वापस मिला राज्य
इस व्रत का ऐसा प्रभाव था कि पांडवों को उनका खोया हुआ राजपाठ वापस मिल गया.
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माता सीता ने रखा था व्रत
मुग्दल ऋषि ने मां सीता को गंगाजल छिड़ककर पवित्र किया और कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया था.
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छह दिनों तक किया था पूजन
माता सीता ने छह दिनों तक भगवान सूर्यदेव की पूजा की थी.
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मुंगेर में किया था पूजन
माता सीता से छठ पूजन बिहार के मुंगेर में गंगा तट पर संपन्न किया था. आज भी वहां पर माता सीता के चरण चिह्न मौजूद हैं.
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प्रियव्रत के सपने में आई थीं माता
प्रियव्रत नामक राजा के कोई संतान नहीं थी. उसके सपने में छठ माता आई और सूर्य की उपासना को कहा. राजा ने ऐसा ही किया, इससे उन्हें संतान की प्राप्ति हुई.
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