नई दिल्ली: गुजरात में मेहसाणा जिले के पंचोट गांव के कुत्ते औसत भारतीयों से ज्यादा अमीर हैं। आप सोच रहे होंगे कि ये कैसे संभव है? समाजिक कार्यकर्ता मनुभाई पटेल ने कहा, "हमारे बुजुर्ग और हमारा हिंदू धर्म भी मानता है कि अबोलों की सेवा करने से ज्यादा पुण्य मिलता है। यही भावना से हमारे बुजुर्गों ने जो गिरवस्क (जिनका कोई वारिस नहीं) हैं उनकी जमीन, उन्होंने हमें दे दी। हमारे किसान मंडल को, ये जमीन आप हमारे अबोलों के लिए रखो और खासकर कुत्तों के लिए और ये जमीन 25 बीघा हो गई है और बढ़ती-बढ़ती और आज एक बीघा की जमीन पांच से छह करोड़ रुपये कम से कम आती है। इसलिए हमारे आजूबाजू के लोग कहते हैं कि पंचोट गांव के कुत्ते करोड़पति हैं।"
ट्रस्ट हर साल नीलामी में सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले किसान को ये जमीन खेती के लिए देता है। इससे जो रकम मिलती है, उसे इलाके के पशुओं, विशेषकर कुत्तों की सेवा में लगाया जाता है। हर दिन के खाने के अलावा कुत्तों के लिए महीने में चार बार मिठाई का भी विशेष इंतजाम किया जाता है।
सामाजिक कार्यकर्ता मनुभाई पटेल ने कहा, "इसमें से इन कुत्तों के लिए हम हर महीने में चार बार मिठाई बनाते हैं, जिसमें लड्डू, सीरा और बूंदी का लड्डू भी हम बनाते हैं और इन कुत्तों को बांटते हैं, खिलाते हैं।" कुत्तों के लिए रोटी बनाने के लिए ट्रस्ट ने महिलाओं को काम पर रखा है। इलाके के कई लोग यहां से रोटी ले जाते हैं और कुत्तों को खिलाते हैं। इसके अलावा गांव का एक युवक मंडल भी है जो ट्रस्ट की मदद से हर दिन कुत्तों को छाछ मिलाकर रोटी खिलाने का काम करता है।
पशुओं की सेवा करने वाले युवक लालभाई प्रजापति ने कहा, "हां, यहां पर पंचोट गांव में यहां बजरंग चौक है, वहां कुत्तों के लिए एक मकान बनाया गया है। वहां पर शाम को करीब एक हजार रोटी बनाई जाती है और शाम को ही इसका वितरण किया जाता है। इसके अलावा ट्रस्ट गायों और पक्षियों की भी मदद करता है।
सामाजिक कार्यकर्ता मनुभाई पटेल ने कहा, "ये पैसे जो बचते हैं, इसमें से गायों के लिए भी रखते हैं और पक्षी घर बनाए हैं हमने और ऐसे पांच पक्षी घर बनाने का हमारे गांव का आयोजन है और वो हम बनाना चाहते हैं।" ट्रस्ट केवल जानवरों को खाना खिलाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनके बीमार पड़ने या घायल होने पर डॉक्टरों से उनका इलाज भी कराया जाता है। पशु-पक्षियों की इस अनोखी सेवा के लिए गुजरात का ये गांव पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया है।