Fact Check: कुछ समाचार रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि एक मालगाड़ी, जो 2014 में आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से उत्तर प्रदेश के बस्ती जा रही थी, उसे तीन साल आठ महीने और सात दिन का लंबा विलंब हुआ. इसके परिणामस्वरूप, ट्रेन के सामान के बर्बाद होने की खबरें भी सामने आईं. इस प्रकार के दावे सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म पर तेजी से फैल गए. हालांकि, केंद्र सरकार के प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने इन दावों को गलत और भ्रामक बताया है.
कहा जा रहा था कि 2014 में बस्ती के एक व्यापारी रामचंद्र गुप्ता ने विशाखापत्तनम से भारतीय पोटाश लिमिटेड से ₹14 लाख का डायमोनियम फास्फेट (DAP) खरीदा था. रिपोर्ट्स के अनुसार, 10 नवंबर 2014 को मालगाड़ी में 1,316 बैग DAP लोड किए गए थे और यह ट्रेन निर्धारित समय पर अपनी यात्रा पर निकली थी. लेकिन, यह ट्रेन अपने गंतव्य पर निर्धारित समय पर नहीं पहुंची, जिसके बाद व्यापारी ने अधिकारियों से कई शिकायतें की.
हालांकि, PIB ने इस पूरे मामले का सच सामने लाया और यह स्पष्ट किया कि भारतीय रेलवे की कोई भी मालगाड़ी इतनी लंबी देरी से गंतव्य तक नहीं पहुंची है. PIB ने कहा कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई, जिसमें मालगाड़ी को तीन साल, आठ महीने और सात दिन का विलंब हुआ हो.
Several news reports and social media posts claim that a goods train took over three years to reach its destination.#PIBFactCheck
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) December 10, 2024
▶️ This claim is #Misleading
▶️ No goods train in Indian Railways has ever taken such time to reach its destination. pic.twitter.com/nnQYlaglva
रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया था कि यह ट्रेन यात्रा के दौरान "गायब" हो गई थी. हालांकि, PIB ने इस दावे को भी खारिज कर दिया. मालगाड़ी का कोई रहस्यमय तरीके से गायब होना असंभव है, और भारतीय रेलवे में ऐसी किसी घटना का कोई रिकॉर्ड नहीं है.
सवाल यह भी था कि यह ट्रेन बस्ती स्टेशन पर 25 जुलाई 2018 को पहुंची थी, जो कि तीन साल से भी ज्यादा समय बाद की तारीख थी. लेकिन PIB ने बताया कि इस तरह की घटनाओं की कोई पुष्टि नहीं की जा सकती और यह दावा पूरी तरह से गलत है.