विश्वास मत हासिल न कर पाने के बाद नेपाल में अब पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' की सरकार गिर चुकी है. प्रचंड की सत्ता जाने के बाद अब केपी शर्मा ओली एक बार फिर से नेपाल के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. बता दें कि ओली वही शख्स हैं जो अक्सर भारत को लेकर जहर उगलते रहे हैं.
तीन साल पहले प्रधानमंत्री रहते उन्होंने भगवान राम को नेपाली कहकर सभी को चौंका दिया था. ओली ने कहा था कि भगवान राम भारतीय नहीं नेपाली थे...असली अयोध्या भारत में नहीं बल्कि नेपाल के बीरगंज में हैं. उन्होंने भारत पर सांस्कृतिक दमन का आरोप भी जड़ दिया था.
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार यह मान रहे हैं कि केपी शर्मा ओपी के प्रधानमंत्री बनने के बाद नेपाल और भारत के संबंधों पर असर पड़ सकता है. साल 2020 में केपी शर्मा ओली की सरकार के दौरान नेपाल ने अपना एक नया नक्शा जारी किया था जिसमें भारत के कुछ इलाकों को नेपाल में दिखाया गया था. भारत ने इस पर आपत्ति जाहिर की थी. ओली चीन के एजेंट के तौर पर काम करते रहे हैं.
हालांकि इस बार केपी शर्मा ओली की पार्टी के सुर बदलते दिख रहे हैं. नेपाल के विदेशी मामलों के विभाग के प्रमुख और सीपीएन-यूएमएल की स्थाई समिति के सदस्य डॉ. राजन भट्टाराई ने कहा कि सीपीएन-यूएमएल यह नहीं मानती कि भारत विरोधी नीति अपनाकर नेपाल प्रगति नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि ओली 21वीं सदी की आवश्यकता को देखते हुए भारत-नेपाल संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि हम भारत को एक महत्वपूर्ण पड़ोसी मानते हैं और हम अपनी धरती से भारत के खिलाफ किसी भी गतिविधी की अनुमति नहीं देंगे.