लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के तुरंत बाद शिरोमणि अकाली दल (SAD) के मुखिया सुखबीर सिंह बादल के अपने ही उनके दुश्मन हो गए हैं. सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी के आठ बड़े नेताओं की छुट्टी तो कर दी है लेकिन यह सवाल जिंदा है कि क्या सुखबीर बादल बागी नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाकर पार्टी को फिर से खड़ा कर पाएंगे? पार्टी लगातार चुनाव दर चुनाव हारती जा रही है और उसके नेता भी साथ छोड़ते जा रहे हैं.
सुखबीर बादल ने जिन बड़े नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है उनमें शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर, पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा, पूर्व मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा, सिकंदर सिंह मलूका, सुरजीत सिंह रखड़ा, पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला, सुरिंदर सिंह ठेकेदार और सुखबीर सिंह बादल की राजनीतिक सचिव चरणजीत सिंह बराड़ का नाम शामिल है. पंजाब में पिछले दो विधानसभा चुनाव और इस बार के लोकसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन और बड़े नेताओं की बगावत के बाद अकाली दल में निराशा का माहौल है.
अकाली दल में पिछले कुछ महीनों में हुए घटनाक्रम को देखें तो यह साफ है कि सुखबीर बादल पार्टी को एकजुट करने में नाकामयाब रहे हैं क्योंकि बागी नेताओं ने काफी दिनों से सुखबीर बादल के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था. पिछले महीने ही इन बागी नेताओं ने एक बैठक करके सुखबीर बादल से मांग की थी कि उन्हें पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ देना चाहिए और किसी अन्य नेता को पार्टी की कमान संभालने का मौका देना चाहिए.
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