नई दिल्ली: यमुना एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल करने वाले यात्रियों के लिए बड़ी खुशखबरी है. अब इन दोनों एक्सप्रेसवे को आपस में जोड़ने का रास्ता साफ हो गया है. दोनों एक्सप्रेसवे के आपस में जुड़ने से 20 किलोमीटर तक का सफर कम हो जाएगा.
इस वजह से अटका हुआ था प्रोजेक्ट
दरअसल, किसानों को जमीन न देने के चलते पिछले 4 सालों से यह प्रोजेक्ट अटका पड़ा था, लेकिन अब यह मामला सुलझ गया है. दोनों एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए जो इंटरचेंज बनाया जाना था, उसके लिए किसानों ने अपनी जमीन देने से मना कर दिया था. 4 साल पहले ही इस इंटरचेंज के बनाना के लिए निर्माण की टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी लेकिन जमीन न मिलने की वजह से यह प्रोजेक्ट परवान नहीं चढ़ सका.
जगनपुर अफजलपुर गांव के नजदीक बनेगा इंटरचेंज
दोनों एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए जगनपुर अफजलपुर गांव के नजदीक इंटरचेंज का निर्माण होना है. इंटरचेंज के लिए अपनी जमीनें देने के लिए किसानों ने साल 2019 में 3500 रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा देने की मांग की थी. इसके अलावा 64% अधिक मुआवजा देने की मांग की गई थी.
ऐसे कम हो जाएगा 20 किलोमीटर तक का सफर
अभी स्थिति ये है कि आगरा की तरफ से यमुना एक्सप्रेसवे से जाने वाले वाहनों को हरियाणा जाने के लिए जीरो पॉइंट से वापस सिरसा लूप से ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पर जाना पड़ता है.
इसके बाद वे परी चौक से होते हुए आगरा जाने के लिए यमुना एक्सप्रेसवे की ओर जाते हैं, ऐसा करने में उन्हें 20 किलोमीटर अधिक जाना पड़ता है लेकिन इंटरचेंज बनने के बाद उन्हें 20 किलोमीडर का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा.
किसानों की मांग हुई पूरी
दरअसल, यमुना प्राधिकरण किसानों को सेक्टर 25 में प्लॉट देना चाहता था लेकिन ये किसान एक्सप्रेसवे के किनारे ही प्लॉट की मांग कर रहे थे, जिसके बाद इंटरचेंज बनाने का मामला अटक गया था.
अब यमुना विकास प्राधिकरण किसानों को एक्सप्रेसवे के नजदीक ही रिहायशी प्लॉट देने को राजी हो गया है. किसानों के लिए 77 हेक्टेयर की जमीन चिह्नित की गई है, यह पूरी जमीन एक्सप्रेसवे के नजदीक है.
प्राधिकरण के इस फैसले के बाद किसान अपनी जमीन देने को राजी हो गए हैं जिससे अब इंटरचेंज का निर्माण कार्य जल्द शुरू हो सकेगा.
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