Junk Food: साल 2016 में मेक्सिको को स्वास्थ्य संकट से जूझना पड़ा था. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) में अतिरिक्त वजन और मोटापे के मामले में यह देश दूसरे स्थान पर पहुंच गया था. लोग बुरी तरह से बीमार हो रहे थे. हालात इतने खराब हो गए कि मेक्सिको को राष्ट्रीय महामारी विज्ञान आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी. दो साल पहले मैक्सिको ने चीनी कर पेश किया था और 2020 में व्यापारियों के विरोध के बावजूद उन्होंने जंक फूट पर चेतावनी लेबल लगाने के पक्ष में मतदान किया.
जंक फूड को लेकर भारत के परिप्रेक्ष्य में भी एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, जंक फूड बेचने वाली कंपनियों की नजर अब भारत जैसे उभरते बाजार पर है. भारत में जंक फूड से होने वाले नुकसान को लेकर पहले से ही लोगों में कम जागरूकता है, इसके अलावा यहां उपभोक्ता संरक्षण नियम भी कमजोर हैं. ये कंपनियां इसी बात का फायदा उठाना चाहती हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की खपत 2011 के बाद 90% से ज्यादा बढ़ गई है. हालांकि कोरोना महामारी के दौरान इन पदार्थोंकी खुदरा बिक्री धीमी हो गई थी लेकिन अब इसमें फिर से तेजी आई है. जंक फूड की ग्रोथ रेट खाने-पीने की जरूरी चीजों के बराबर है. इसी अवधि में जरूरी खाने-पीने की चीजों में 106% की वृद्धि देखी गई.
आंकलन के अनुसार, अगर भारत की इकोनॉमी 6% की दर से बढ़ती है और लोगों के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा आता है तो भारत में विभिन्न अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड कैटेगरी का मूल्य अगले दशक तक बहुत बढ़ जाएगा.
हम आपको अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूट कैटेगिरी के 5 फूड बताते हैं जिनमें से चार की ब्रिकी 1 ट्रिलियन रुपए से ज्यादा होने की उम्मीद है. इनमें चॉकलेट और चीनी कन्फेक्शनरी सबसे आगे हैं.
संयुक्त राष्ट्र खाद्द एवं कृषि संगठन (FAO) की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि खराब-खान पान का अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ता है. खराब खाना खाने से लोगों को बीमारियां होती हैं जिससे सैकड़ों अरब डॉलर की लेबर प्रोडक्टिविटी की हानि होती है.
154 रैंक वाले देशों में भारत अनहेल्दी डाइट लेने से होने वाले अनुमानित नुकसान के मामले में तीसरे स्थान पर है. खान-पान की खराब आदतों के कारण 2020 में भारत को 669 अरब डॉलर का नुकसान हुआ.
आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की दो सबसे बड़ी महाशक्तियां अमेरिका और चीन खराब खान-पान से होने वाले नुकसान के मामले में क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर हैं.
गौरतलब है कि भारत साल 2017 से जंक फूड की खपत को कम करने के लिए सख्त नियमों पर विचार कर रहा है. केरल ने 2016 में इस पर टैक्स भी लगाया था लेकिन 11 महीने बाद उसे इस टैक्स को हटाना पड़ा.
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