PM-Surya Ghar Muft Bijli Yojana: केंद्रीय मंत्रालय ने प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के तहत कुछ नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जो इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन में मदद करेंगे. इन नए दिशानिर्देशों में ‘पेमेण्ट सिक्योरिटी मैकेनिज़म’ (Payment Security Mechanism) और ‘केंद्रीय वित्तीय सहायता’ (Central Financial Assistance) के घटक शामिल हैं, जो RESCO मॉडल के तहत सोलर पैनल इंस्टॉलेशन के लिए लागू होंगे.
इस योजना के तहत, उपभोक्ताओं के लिए दो प्रमुख कार्यान्वयन मॉडल उपलब्ध हैं:
1. RESCO मॉडल (Renewable Energy Service Company): इस मॉडल में तीसरे पक्ष की कंपनियां (RESCOs) सोलर पैनल की स्थापना के लिए निवेश करती हैं. उपभोक्ताओं को केवल उतनी बिजली का भुगतान करना होता है, जितना वे उपयोग करते हैं, जबकि सोलर पैनल की स्थापना की प्रारंभिक लागत उन्हें नहीं उठानी पड़ती.
2. ULA मॉडल (Utility-Led Aggregation): इस मॉडल में, डिस्कॉम (DISCOMs) या राज्य द्वारा नामित संस्थाएं व्यक्तिगत घरों के लिए सोलर पैनल की स्थापना करती हैं. इस मॉडल के तहत, DISCOMs सोलर पैनल इंस्टॉलेशन का काम करती हैं और उपभोक्ताओं को बिजली की लागत का भुगतान करना होता है.
सरकार ने RESCO मॉडल के लिए 100 करोड़ रुपये का कोष तैयार किया है, जो निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करेगा. इस फंड का उपयोग RESCO मॉडल में सोलर पैनल इंस्टॉलेशन के लिए जोखिम को कम करने के लिए किया जाएगा. यह सुनिश्चित करता है कि निवेशकों को उनके निवेश पर सुरक्षित रिटर्न मिल सके.
प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के तहत अब तक 1.45 करोड़ से अधिक रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं और 6.34 लाख से अधिक सोलर पैनल इंस्टॉल किए जा चुके हैं. यह योजना उन लोगों के लिए एक बेहतरीन अवसर है जो अपनी बिजली की लागत को कम करना चाहते हैं और पर्यावरण की रक्षा में भी योगदान देना चाहते हैं.
इस योजना के तहत, उपभोक्ता राष्ट्रीय पोर्टल (https://www.pmsuryaghar.gov.in/) के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं. इसके अलावा, नए दिशानिर्देशों के तहत, RESCO और ULA मॉडल को भी लागू किया जाएगा, जिससे योजना का लाभ और अधिक लोगों तक पहुंचेगा.
प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना का उद्देश्य भारत में सोलर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना और रिहायशी घरों को अपनी बिजली खुद बनाने के लिए सक्षम बनाना है. इस योजना का कुल बजट 75,021 करोड़ रुपये है, और इसे 2026-27 तक लागू किया जाएगा.
सरकार का मानना है कि इस योजना से देश में न केवल ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यावरण की रक्षा में भी मदद मिलेगी, क्योंकि सोलर पैनल से उत्पन्न होने वाली बिजली प्रदूषण मुक्त होती है.