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Cyber Fraud: डर, डर, डर… बस ऐसे हो जाते हैं Digital Arrest, ये है फर्जीवाड़े का खेल

Cyber Fraud: डिजिटल अरेस्ट कितनी तेजी से बढ़ रहा है ये तो हम सभी जानते हैं. इस तरह के मामलों में क्या-क्या किया जाता है, ये हमने आपको इससे पहले भी कई बार बताया है और एक बार फिर से बता रहे हैं. पुणे में इस तरह के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और लोगों कोे अब सतर्क रहने की बहुत जरूरत है.

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Edited By: India Daily Live
Cyber Fraud
Courtesy: Freepik

Cyber Fraud: साइबर डिजिटल अरेस्ट… ठगों ने पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप तैयार किया होता है, जिसमें वर्दीधारी अधिकारी, वायरलेस सेट से आवाजें और बड़े-बड़े नाम जैसे CBI, ED, RBI और सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया जाता है. ठग पहले लोगों को धमकी देते हैं कि वो मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स तस्करी या  आतंकवाद जैसे अपराधों में फंस चुके हैं. इसके लिए उन्हें गिरफ्तार भी किया जाएगा. इसके बाद उन्हें दिन-रात वीडियो या ऑडियो कॉल पर रहने के लिए कहा जाता है, यह कहते हुए कि वे निगरानी में हैं या उनकी जान को खतरा है.

इस तरह से लोगों को पूरी तरह से विश्वास दिलाया जाता है कि वो अपराध के दलदल में फंस चुके हैं और अगर वो सुरक्षित रहना चाहते हैं तो उन्हें पैसा देना होगा. लोग डरकर पैसा भी दे देते हैं. ये कॉल्स अक्सर टेलीकॉम अधिकारी बनकर शुरू होती हैं, जैसे फोन कनेक्शन कटने की धमकी या व्यक्ति का कोई कोरियर विदेश में फंस गया है जिसमें ड्रग्स मिले हैं. ये सुनकर लोग डर जाते हैं और जैसा स्कैमर कहते हैं वैसा करने लग जाते हैं. 

कानूनी भाषा का भी होता है इस्तेमाल: 

सिर्फ इतना ही नहीं, फर्जी आईडी कार्ड, सरकारी एजेंसियों के लेटर हेड और कानूनी भाषा का भी इस्तेमाल किया जाता है जिससे लोगों को फंसाना आसान होता है. हाल ही में पुणे का एक मामला सामने आया है जिसमें व्यक्ति ने बताया कि उसे यह यकीन दिलाया गया कि वो किसी कानूनी कार्रवाई में फंस गए हैं और उनके 70 लाख रुपये ठग लिए गए. स्कैमर्स सिर्फ आम जनता तक ही सीमित नहीं है, इन्होंने कई नामी लोगों जैसे राज कुंद्रा, नरेश गोयल, चंदा कोचर आदि के नाम का भी गलत इस्तेमाल करते हुए लोगों को लूटा है. 

पुलिस की जांच में पता चला है कि यह स्कैम, स्कैमर्स का एक इंटरनेशनल नेटवर्क पर काम करता है. सबसे पहले, पैसे छोटे व्यापारियों, किसानों और मजदूरों के अकाउंट में भेजे जाते हैं, जो इस फ्रॉड के पहले फेज का हिस्सा होते हैं. इसके बाद साइबर क्रिमिनल्स की एक और टीम इन अकाउंट्स को मैनेज करती है और इस प्रोसेस में इन्हें हिस्सेदारी दी जाती है. सिर्फ यही नहीं, यह पैसा क्रिप्टोकरेंसी के जरिए विदेशों में भेजा जाता है, जहां ये इंटरनेशनल स्कैमर मास्टरमाइंड के पास पहुंचता है. 

भारत के कई शहरों में पिछले दो सालों में इस तरह के साइबर फ्रॉड में तेजी आई है. पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ जैसे शहरों में करीब 270 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें लोगों को करीब 48 करोड़ रुपये गंवाने पड़े हैं. पुलिस अब जनता को साइबर अपराधों के बारे में जागरूक कर रही है जिससे लोग खुद को इस तरह के स्कैम से बचा पाएं.