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महाकुंभ से पहले जमीन के लिए साधु-संतों के बीच महायुद्द, एक दूसरे पर की मुक्कों की बौछार, कुरुक्षेत्र बनी तंबुओं की नगरी

Maha Kumbh Mela 2025: प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियों के बीच भूमि आवंटन को लेकर साधु-संतो के बीच लड़ाई हो गई. इस पूरे मामले का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

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Edited By: India Daily Live
Maha Kumbh Mela 2025
Courtesy: Social Media

Maha Kumbh Mela 2025: प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर हैं. मेले के लिए भूमि आवंटन की प्रक्रिया भी चल रही है. हो रही है. इन सबके बीच जमीन को लेकर साधु-संत अपस में ही भिड़ गए. इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरह से साधु-संत एक दूसरे पर मुक्कों की बौछार कर रहे हैं. महाकुंभी की शुरुआत से पहले ही साधुओं के बीच महासंग्राम हो गया. ऐसा लग रहा है कि महाकुंभ से पहले तंबुओं का शहर कुरुक्षेत्र बन गया है. 

गुरुवार को, अखाड़ों के बीच भूमि आवंटन को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि साधु-संत आपस में भिड़ गए. भारतीय अखाड़ा परिषद की एक बैठक के दौरान हुई बहस ने हिंसक रूप ले लिया. साधु-संतों के बीच हुई इस भिड़ंत का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.

वायरल हो रहा है वीडियो 

प्रयागराज मेला प्राधिकरण द्वारा गुरुवार को अखाड़ों को भूमि आवंटित करने का निरीक्षण कराने की योजना बनाई गई थी. इस बैठक में विभिन्न अखाड़ों के संत-महंत एकत्र हुए, लेकिन भूमि आवंटन को लेकर बात बढ़ने लगी. चर्चा के दौरान विभिन्न अखाड़ों के महंतों के बीच कहासुनी हुई, जिसने जल्द ही हिंसक रूप धारण कर लिया. स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि साधु-संत एक-दूसरे पर लात, घूंसे और मुक्के बरसाने लगे. इस झगड़े ने वहां मौजूद अधिकारियों और अन्य संतों को भी अचंभित कर दिया, और कार्यालय में तनावपूर्ण माहौल बन गया.

पुलिस और प्रशासन का हस्तक्षेप

इस विवाद को शांत करने के लिए पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को तुरंत हस्तक्षेप करना पड़ा. उन्होंने झगड़ते संतों को अलग किया और किसी तरह स्थिति को नियंत्रण में लाने का प्रयास किया। हालांकि, माहौल पूरी तरह से शांत नहीं हो पाया, और विवाद का तनाव पूरे कार्यालय में महसूस किया जा रहा था. बैठक में उठे इस झगड़े की मुख्य वजह भूमि आवंटन को लेकर असहमति और एक पक्ष द्वारा नारेबाजी बताई जा रही है.

प्रयागराज महाकुंभ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण आयोजन है, जिसमें लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं. ऐसे में अखाड़ों के बीच विवाद कुंभ मेले की तैयारियों और इसकी पवित्रता पर सवाल खड़े करता है.